व्योम और पंकज….. सलकनपुर के पहाड़ पर हम रुक जाते थे ,..हमारा ईश्वर प्रकृति में बसता है.. पीछे नीबू पानी वाले की दूकान है .इस फोटो सेशन के बाद सबने पार्टी की थी .. अब भी वहां पहाड़ पर प्रकृति के रंग बदलते होंगे,पर पंकज के जाने के बाद हमारी टीम कभी सलकनपुर नहीं गयी. पंकज का एक्सीडेंट भी सलकनपुर के इलाके में ही हुआ था. शायद आत्मा चुन लेती है कि उसे कहाँ रुक जाना है. जय माता दी पंकज ..
व्योम और पंकज….. सलकनपुर के पहाड़ पर हम रुक जाते थे ,..हमारा ईश्वर प्रकृति में बसता है.. पीछे नीबू पानी वाले की दूकान है .इस फोटो सेशन के बाद सबने पार्टी की थी .. अब भी वहां पहाड़ पर प्रकृति के रंग बदलते होंगे,पर पंकज के जाने के बाद हमारी टीम कभी सलकनपुर नहीं गयी. पंकज का एक्सीडेंट भी सलकनपुर के इलाके में ही हुआ था. शायद आत्मा चुन लेती है कि उसे कहाँ रुक जाना है. जय माता दी पंकज ..