यादव सर पीयूष के इस आग्रह को छोड़ नहीं पाए। वो समझाने लगे- आप एक रॉकेट हो, जिसे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होना है और अपनी स्काईलाइन, गैलेक्सी और ट्रेजेक्टरी समझना है।
अब ये सोचो कि क्या आप अपनी छत पर हेलीकॉप्टर उतार सकते हो? नहीं। आपकी छत टूट जाएगी। हेलीकॉप्टर ध्वस्त हो जाएगा। आपके घर की छत से हवाई जहाज भी नहीं उड़ सकता। रॉकेट इन सबसे भारी होता है। अंतरिक्ष की कहानियों में आपने पढ़ा होगा कि आकाश, अंतरिक्ष की सबसे छोटी सीमा है, जहां तक हवाई जहाज उड़ता है या चील पहुंच सकती है। ऊंचाई पर जाने के बाद चील अपने पंख खोल लेती है और ऊपर-नीचे हवाओं के मज़े लेती है। उससे ऊपर चील नहीं जाती। वहां हवाओं की सीमा खत्म हो जाती है। अंतरिक्ष के स्टेशन पर चंद्रमा हमारे सबसे पास का प्लेटफॉर्म है। वैज्ञानिक बताते हैं कि चंद्रमा पर पहुंचना हो तो ज्यादा पावरफुल इंजन चाहिये। आप एक इंजन हो, जो एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बनाया गया है। आकाश से ऊपर जाकर चील वापस नहीं आ पायेगी। उसकी क्षमतायें वहां खत्म हो जाती हैं। फिर वो अंतरिक्ष में विलीन हो जायेगी। पहाड़ को यह पता है इसलिए वह अपनी जड़ों से दूर नहीं जाता, वहीं रहकर अपनी ऊंचाई बढ़ाता है। चील छोटी है फिर भी उड़ती है, पहाड़ के भी ऊपर चली जाती है। पर एक सीमा पर जाकर लौट आती है। अंतरिक्ष में जाना चील के बस की बात नहीं है। वहां हमारे सबसे ताकतवर लड़ाकू जहाज भी नहीं जा सकते। वहां जाने के लिए रॉकेट बनाए जाते हैं और अंतरिक्ष में घूमने वालों को हम कहते हैं अंतरिक्ष यात्री। जीवन की यात्रा में हम सब यात्री हैं। जन्म से मृत्यु तक आपके जीवन की यात्रा चल रही है। तो चलो, दौड़ो, रेंगों, उड़ो, सरको, छलांग लगा दो। पर रुकना नहीं। आपके घर की छत से रॉकेट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित नहीं किया जा सकता। जब रॉकेट ऊपर जाता है तो नीचे की तरफ वो इतनी ताकत लगाता है कि आपके घर की छत के साथ पूरा मोहल्ला उड़ जाएगा। यदि ऐसे में रॉकेट की दिशा थोड़ी सी भी मुड़ गई, तो वो रॉकेट भटक जाएगा। उसे अंतरिक्ष में जाने के लिए बनाया गया था। भटका हुआ रॉकेट एक हथियार है। जो बनाने वाले को नष्ट कर देता है। आप भी एक रॉकेट हो। रॉकेट को अंतरिक्ष की तरफ छोड़ने के लिए एक खास जगह बनानी पड़ती है- लॉन्च पैड। आपको भी अपना लॉन्च पैड बनाना पड़ेगा। वरना आप सफलता के अंतरिक्ष तक नहीं पहुंच पाओगे। आप एक रॉकेट हो, आपको अपना लॉन्च पैड बनाना चाहिए। ठोस, निर्धारित अनुपात के अनुसार, संतुलित, जहां आप सुरक्षित रूप से खुद को तैयार कर सकें। जीवन एक प्रयोगशाला है। आपको विज्ञान का अध्ययन करना चाहिए। आपको हर घटना पर अन्वेषण करना चाहिए। उनका रसायन समझना चाहिए। आपको हर घटना का हिस्सा बनना चाहिए। अणु बनते ही आप उस पदार्थ को समझ जाएंगे, फिर जैसे चाहे परिवर्तन किए जा सकते हैं।
आपको दोस्त बनाना चाहिए। जैसे बड़ी घटनायें आपका पता पूछ रही हों। उन्होंने आपके बारे में सुना हो और वो आपका दोस्त बनना चाहती हों। उनके हो जाओ, वो आपके हो जाएंगे। जीवन के दो तरीके हैं- या तो उन्हें हरा दो या उन्हें जीत लो। आपको उन्हें हराना नहीं चाहिए, वरना जीवन का स्वाद बिगड़ जाता है। पर खेल में कोई तो हारेगा। आप जीत जाओ, पर खेल होने दो या फिर खेल बन जाओ। यदि वो हारनेे का भी मजा ले पायें तो वो आपके जीतने का बुरा नहीं मानेंगे। दुश्मनी मत पैदा होने दो। आप अपने आपको बुरी नज़रों से बचाओ। ये आपके खिलाफ चली गई बड़ी कुटिल चालंे हैं। आप ज़िंदगी के मजाक को समझो। कोई चश्मा लगाओ, थोड़ा ध्यान हटाओ और बचकर निकल लो। आपको सच्चाई समझनी होगी। जो है वो है और आपके मानने और ना मानने से जीवन को कोई फर्क नहीं पड़ता है। अपने लक्ष्य निर्धारित करो। ध्यान से देखो और जानने की कोशिश करो कि आपकी निगाह कहां ठहर जाती है। यदि आप एक फुटबॉल बन जाओ और जीवन के मैदान में लुढ़कना शुरु कर दो, तो जीवन लात मारेगा। बुरा मत मानो। समय की लात, मौसम की लात, रिश्तेदार, भावनाएं, बीमारियां और जाने कितने तरह की लातें। आपको इधर से उधर जाना पड़ेगा। यहां से वहां, ऊपर से नीचे। अब ऐसे टप्पा खाते हुए आप वापस उचकोगे फिर ऊपर आओगे। सफलता इसी से निर्धारित होगी कि जब जीवन ने आपको टप्पा खिलाया तो आप कितना ऊपर उछलकर आए। आप फुटबॉल हो और आपको जीवन की लातंे पढ़ती रहेंगी। टप्पे खाना आपकी नियति है। अपने लिए कोई निशाना लगाओ। कोई गोल बनाओ। फिर यदि टप्पा खाकर उचको, तो कोशिश करो उस निशाने को छुओ। यदि एक बार निशाना मिल गया तो स्कोरबोर्ड चलने लगेगा। आपको स्कोरबोर्ड पर ध्यान देना चाहिए। बार-बार उस निशाने तक पहुंचो और ज़िंदगी का नंबर गेम याद रखो। आपको अपने अंक बढ़ाने हैं। खजाना और कीमती हो जाएगा। थोड़ा और गहरे जाना पड़ेगा। आप अपने लिए निशाना बनाओ, उसे पाओ। उसके बाद थोड़ा मजा लो, अगला निशाना बनाओ। सितारों से आगे जहां और भी है। आप एक रॉकेट हो और आपको जीवन समझने के लिए मिला है। अच्छे विद्यार्थी बनो, अपना लक्ष्य फोकस करो। मान लो आपके पास एक कैमरा है और आप एक फूल का चित्र खींचना चाहते हो। अब आप कैमरे का लेंस खोलो। पहाड़ की तरफ देखो, क्या फूल का चित्र मिलेगा? छोड़ो! कैमरा घुमाओ। मुझे देखो। मैं बताऊं आपको फूल का चित्र नहीं मिलेगा। आपकी आंखें कैमरे से देखती हैं। यदि आप फूल की तरफ फोकस करोगे और कैमरे का बटन दबाओगे और यदि कैमरे में रील होगी तो फूल चित्र के लिए मना नहीं करेगा, कैमरा भी नहीं। जरूरी है कि जीवन के कैमरे से आप अपने लक्ष्य देखें। जीवन ने देखने लायक बहुत कुछ बनाया है। पर आपके पास समय कम है। एक अच्छा जीवन बिताने का यही सूत्र है कि आप जीवन के नज़ारों का आनंद लें, पर अपनी नज़र अपने लक्ष्य पर केंद्रित रखें। सही नज़रिया आपको एक बेहतर व्यक्तित्व का मालिक बनाएगा। नहीं तो आपके पास सिर्फ दो हाथ हैं ओर ईष्वर ने कई जगहों पर खजाना छुपाया है। अब आप उन दो हाथों से क्या-क्या पकड़ पाओगे?
आपके पास विकल्प हंै, आपने बहुत सारे पहलू देखें हैं। आपका अपना नज़रिया है। आप सितारों को देखकर चल पड़े थे और आपको किसी को खुश नहीं करना था। आपने अपने निशाने देख लिए थे। आप तैयार थे परेशानियों को खत्म कर देने के लिये। पर आपको याद रखना चाहिए कि अति हर चीज की खराब होती है। बुद्ध से किसी ने पूछा कि-‘क्या करें?’ बुद्ध ने कहा-‘कुछ भी। परंतु सम्यक्। खाओ, पर भूख से ज्यादा नहीं। चलो, पर आराम भी कर लो। व्यायाम करो या समाधि, किसी भी चीज को एक संतुलन तक पहुंचना चाहिए। और यही है संतुलन माने सम्यक्। आपको बोलना हो या सुनना, व्यापार हो या नौकरी, खेल हो या आराम, सम्यक। जीवन में यदि आपको मज़ा लेना है, तो संतुलन पर पहुंचना जरूरी है। जरूरत से ज्यादा प्रेम हो या घृणा, अमीरी हो या गरीबी, स्वास्थ्य हो या बीमारी, आपको नुकसान पहुंचाएगी। आपने आकड़े इकट्ठे कर लिए थे। उन आंकड़ों को जमाकर आपने अपनी पसंद का आकार चुन लिया था। अब समय रहते आपको अपने सपने पूरे करने हैं। पहला कदम उठाओ, फिर एक और फिर एक और। जब सब थक गये थे तो आपको बस थोड़ी दूर और जाना था। जब सभी एक कदम भी नहीं चल सकते थे, तब आपको पता था बस थोड़ी दूर और। आपको पता था कि सफलता की गंगा, योजना और मेहनत की गंगोत्री से निकलती है। आप किनारे और गहराई जान लेने के बाद स्त्रोत की खोज में चल दिये थे। आपको पता था कि जो खोजेगा, उसे मिल जाएगा। आपको सफलता चाहिये थी और आप अद्वितीय होना चाहते थे। आपकी अवधारणायें साफ थीं और आप जानकारियां जुटा रहे थे। आपके तर्कों ने आपका रास्ता आसान बना दिया। आपकी व्यूह रचना में दुनिया उलझ गई। आप फिर भी अपने रास्ते बनाते रहे। आपने गुरु ढूंढे, आप अपने किरदार में खो गए। आपने जिम्मेदारी निभाई, जीवन के मजे लिये, वर्तमान का स्वागत किया। आप गलतियों को सुधारते रहे। गलत का आपने विरोध किया। आपने अपने विषयों, जीवन और समय को धोखा नहीं दिया। आपने कम वादे किये। आप अपने वादे पूरे कर पाए। आप जीवन में कल्याण का मार्ग खोजते रहे। आपकी प्राथमिकताएं तय थीं। आपने जरूरत से ज्यादा कुछ नहीं किया, उम्मीदें भी नहीं। आप अपने आप से बात कर रहे थे। आपने जीवन के सिद्धांत अपनी आदतों और चरित्र में गहरे बैठा लिए थे। आपकी अखंडता अब उनके हथियारों से छिन्न-भिन्न नहीं होने वाली थी। आपने स्वयं को जीत लिया था और दुनिया अब आपकी तरफ देख रही थी। आप यह सब कैसे कर पाए? क्योंकि आप जीवन पर अपना प्रभाव डाल रहे थे। आप अपने नक्शे और दिशा सूचक यंत्र लेकर चले थे। आपके भीतर का व्यक्ति, चेतना का टॉर्च जलाकर आपको सही रास्ता बता देता था। आप पछताए नहीं, आप गलतियों से सीख रहे थे। ऐसा कोई पिंजरा नहीं बना, जो आपको हमेशा के लिए बंद करके रख सके। यह शरीर भी नहीं। आपको जब जीवन ने नींबू दिये तो आपने शिकंजी बना ली। आपने बचाकर रख लिया, संभालना सीखा, सड़ने से बचा लिया। आप अमर हो जाओगे। आपको जीवन के रहस्य मालूम थे। जीवन के आश्चर्याें का मज़ा लेना था, बगैर ये भूले कि आज का दिन भी गुजर जाएगा। आपको मालूम था कि यह सब अचानक नहीं हो जाएगा। हथेली पर राई के पहाड़ नहीं बनते। आप एक कहानी याद रखना-
समुद्र में एक जहाज तैर रहा था। उस जहाज में थे मिस्टर यू। जीवन की यात्रा में दिन-रात आते हैं। रात में जहाज से आपने देखा कि सामने एक और जहाज आ रहा है। आप जीवन के साथ थे। कैसे हट जाते? आपने आकाशवाणी करवाई-‘हट जाओ दुनिया! मैं आ रहा हूं। पर आपको यह देखकर आश्चर्य हुआ कि रोशनी सीधी आपके जहाज की तरफ आ रही है। आपको क्रोध आ गया। कौन है ये? जो मेरे रास्ते से नहीं हट रहा। आपने चेतावनी दी हट जाओ! वरना मार दिया जाएगा। जीवन शांति से कहता रहा-‘मैं तो स्तंभ हूं। मैं कहां जाऊं? कृपया आप अपना रास्ता बदल लंे।’ मैंने जब भी आईने में खुद को देखा तो लगा कि अपने चेहरे में कुछ बदलाव की जरूरत है। क्या आप तैयार हो? सर फिर चुप हो गये थे। थोड़ी देर बच्चे भी ढलता सूरज देखते रहे। फिर इस सन्नाटे को तोड़ती हुई स्नेहा बोली-‘सर बताइए ना!’ सर कहने लगे-
नीति शास्त्र कहता है-
शैले-शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे-गजे।
साधवो न हि सर्वत्र, चदनं न वने वने।।
सभी पहाड़ों पर रत्न और मणियां नहीं मिलती। हर हाथी के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होते। अच्छे लोग हर जगह नहीं मिलते। हर जंगल में चंदन के पेड़ नहीं होते।
आपको उपकरण और कार्य, विचार के साथ चुनना चाहिए। गलत चुनाव बहुत सारा समय बर्बाद कर देता है। आप अपने लोग चुनो। अपनी टीम बनाते समय थोड़ा ध्यान रखो। केवल रूप, धन और शरीर की सुंदरता चुनाव का आधार नहीं होना चाहिए। आपका एक गलत चुनाव, आपके जीवन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। नीति कहती है-
दुर्जनस्य च सर्पस्य परं सर्पो न दुर्जनं।
सर्पो दंषति कालेन, दुर्जनस्तु पदे-पदे।।
यदि दुष्ट व्यक्ति और सांप, इन दोनों में से किसी एक को चुनना हो, तो साप को चुनना बेहतर होगा। क्योंकि सांप समय आने पर ही काटेगा, पर दुर्जन कदम-कदम पर डसता रहेगा।
उद्योग करने वाला कभी दरिद्र नहीं हो सकता। अपना ध्यान करने वाला कभी पाप में लिप्त नहीं होता। मौन रहने पर लड़ाई-झगड़े नहीं होते तथा जो सतर्क रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता।
लोभी व्यक्ति को धन देकर, अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करके और विद्वान मनुष्य को सच्ची बात बताकर दोस्त बनाया जा सकता है।
आपको ज्यादा सरल, सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए। इससे सब आपको कमजोर समझने लगते हैं और कष्ट देते हैं। जंगल में सीधे पेड़ काट दिये जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े वृक्षों को कोई हाथ नहीं लगाता। पर केवल ज्ञान इकट्ठा करने से कुछ नहीं होगा।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम्।
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति।।
जिस व्यक्ति के पास अपनी बुद्धि नहीं, शास्त्र उसका क्या कर सकेगा? जिस प्रकार आंखों से रहित अंधों के लिए दर्पण का कोई लाभ नहीं होता।
विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह इन 8 बातों को त्याग कर दे-काम, क्रोध, लोभ, स्वादिष्ट पदार्थों की इच्छा, श्रृंगार, खेल-तमाशे,अधिक सोना और चापलूसी करना।
इस पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं। जल, अन्न और हितकारी वचन। परंतु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं।
जो व्यक्ति अवसर के अनुकूल बात करना जानता है, जो व्यक्ति अपने यष और गरिमा के अनुकूल मधुर भाषण कर सकता है और जो व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करता है, उसी को वास्तव में विद्वान कहा जाता है। यदि आप दूसरों की निंदा करना और बुराई निकालना बंद कर दें, तो सारा संसार आपका हो जायेगा।
दुर्जन और कांटे, इनसे बचने के दो ही उपाय हैं। या तो जूतों से उनका मुंह कुचल दिया जाए या उनको दूर से ही त्याग दिया जाए।
मनुष्य अपने गुणों के कारण श्रेष्ठ माना जाता है। ऊंचे सिंहासन पर बैठने से कोई बड़ा नहीं हो जाता। राजमहल के खंभे पर बैठा कौवा खुद को गरुण समझ सकता है, पर ताकत के नियम आभासी नहीं होते। शक्ति, सत्य है। दुनिया एक कड़वा वृक्ष है। इसके दो ही फल अमृत जैसे मीठे होते हैं-एक मधुर वाणी और दूसरा अच्छे दोस्तों का साथ।
सांप का जहर उसके दांत में होता है, मक्खी का विष सर में। बिच्छू का जहर उसकी पूंछ में होता है, परंतु दुर्जन की आत्मा और शरीर विष का बर्तन होता है।
आप प्रलय के कंधों पर सवार होकर चलो। जीवन आपको महान बना देगा। किला बनाओ। अपना सुरक्षा तंत्र विकसित करो। यदि कमजोर किला बन जाए तो तोड़ दो। और कमजोर किले के मलबे से अपने मजबूत किले की नींव भर दो। फिर मजबूत किला बनाओ। या तो फिर अपना कमजोर किला किसी दुश्मन को उपहार में दे दो। आपका उद्देश्य बड़ा होना चाहिए। काम से कोई फर्क नहीं पड़ता।
हर सुबह जब आप उठते हो तो आपके पास दो चुनाव होते हैं। फिर सो जाओ और सपने देखो या उठो और अपने सपने पूरे करो। चुनाव आप करोगे। आप आसमान में उड़ो और जमीन पर अपने कदम गढ़ाए रखो।
अपनी भाषा और शब्दों पर काम करो। कड़वा बोलने वाले शहद भी नहीं बेच पाते और मीठा बोलने वाले मिर्ची भी बेच देते हैं। आप याद रखो कि हर दिन अच्छा नहीं होता पर हर दिन में कुछ अच्छा जरूर होता है। आप अंधविष्वासों से बचो। मान लो! आप कहीं जा रहे हो और बिल्ली रास्ता काट गई। इसका क्या मतलब? सीधी बात है-बिल्ली भी कहीं जा रही है। दुनिया गोल है। हम आपस में मिलते रहेंगे। आप उनका दिल दुखाने वाली बातें मत करो। मान लो आप नदी में पत्थर फेंको तो आपको सिर्फ थोड़ी लहरें नदी पर नज़र आएंगी। पर क्या आपने सोचा कि वह पत्थर नदी में कितने गहरे गया?
आप अपनी प्रतिष्ठा पर काम करो और जब आपकी प्रतिष्ठा बन जाए, वो जीवन भर आपके काम आएगी। और यदि आपकी उम्मीदें पूरी ना हों तो भरोसा रखो। याद रखना जीतना आपको बड़ा और महान नहीं बनाता, पर यदि आप हर बार बेहतर बन जाते हो तो जीवन आपका सम्मान करने लगता है। चिड़िया की तरह हमें भी अपने घोंसल छोड़ देने चाहिए। शिकायतें, चिंताएं, दर्द, डर, पछतावे हम हमेशा अपने कंधांे पर नहीं ढो सकते। हमें उन्हें छोड़कर चल देना चाहिए। किसी लेखक ने कहा है-‘मैं दुखी था कि मेरे पास कीमती जूते नहीं, पर मैं उदास हो गया जब मैंने देखा कि उसके पास दोनों पैर ही नहीं।’ जीवन ने आपको जो दिया उसका जश्न मनाओ। जिन्हें सपने देखना अच्छा लगता है, उनके लिए रात छोटी होती है और जिन्हें सपने पूरे करने हैं, उनके लिए दिन छोटा पड़ता है।
आपको कूटनीति सीखनी चाहिए। अपने बड़े उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आपको किसी भी हथियार का इस्तेमाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। साम-दाम-दंड-भेद के हथियार आपको किसी भी कठिन परिस्थिति से बाहर ला सकते हैं। एक विजेता की तरह।
आपको नकारात्मक आदतों और विचारों को खत्म कर देना चाहिए। जैसे झूठ बोलना, बिना सोचे-समझे किसी कार्य को प्रारंभ कर देना, दुस्साहस, छल-कपट, मूर्खतापूर्ण कार्य, लोभ, अपवित्रता और निर्दयता। ये आपके साथ रहने लायक मित्र नहीं हैं। आपको चुनना चाहिए। किसी कार्य के सफल होने में उपकरण का सही चुनाव जरूरी है और हर किसी उपकरण से आप अपना सोचा हुआ कार्य नहीं कर सकते।
यादव सर बोलते-बोलते फिर चुप हो गये। शांत सूरज पश्चिम में पहाड़ की तरफ जा रहा था। सर ने कहा-‘अब आप मुझे थोड़ा समय दीजिये ताकि मैं शांति से इस प्रकृति को महसूस कर सकूं। आप जब शांत हो जाते हैं, तब आपके भीतर से एक सूर्याेदय होता है और सारा अंधेरा भाग जाता है।
चिड़िया चहचहाती रही, पहाड़ पर हवाएं तेज चलती हैं। सांय सांय करती हवाओं को सुनकर जी-9 के भीतर भी शांति ने अपना घर बना लिया था। जैसे दस सन्यासी एक साथ किसी सूरज का ध्यान कर रहे हांे। हे ईष्वर सबको ऐसा ही जीवन चाहिए। धीरे-धीरे सूरज सामने वाले पहाड़ के पीछे चला गया और उन चमकते बादलों के बीच सर बोले-‘अब आप चलिये वापस। सब आपका इंतजार कर रहे होंगे। बच्चे वापस नहीं जाना चाहते थे। पर यादव सर को मना करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। सच में जिसके पास ज्ञान और शांति है, वह दुनिया का ताकतवर इंसान है। सब शांति से उठे और पहाड़ से धीरे-धीरे उतरने लगे। बीच-बीच में वो बादल और आसपास की प्रकृति देख रहे थे। उनके भीतर परम शांति थी। उन्होंने इससे पहले ऐसा कभी महसूस नहीं किया था। ये उनके जीवन के सबसे कीमती समय में से एक था।
अब आप लोग वापस जाओ। वहां पुरस्कार वितरण शुरू होने वाला होगा-यादव सर ने कहा। पर सर हमें नहीं चाहिए कैडबरी, फाइव स्टार। सर बोले-‘आप फिर भूल गए अनुशासन। नियम के साथ चलो। नियम आपके साथ चलेगा। खजाना आपको जरुर मिलेगा, बस खोजते रहो। पर देखो उन्हें, जिन्होंने अपना खजाना खोजा है। उनके लिए खुश हो और तालियां बजाओ। खजाना वहां भी है तुम्हारे लिए। दोस्तों का खजाना, यादों का खजाना, खुशियों का खजाना।
तो क्या सर आप नहीं चलेंगे- मानस ने पूछा। सर बोले-‘नहीं। मैं सूर्यास्त देखकर कैंपफायरिंग के लिए जाऊंगा। आप चाहो तो मैं कल सुबह आपको मिल सकता हूं। फिर सुबह 11 बजे आपकी बस है। वापस जाना है ना! बच्चे चुपचाप वापस चल दिये। वो वापस आ गए।
बड़े बरगद के नीचे वहां सारे बच्चे इकट्ठा हो गए। जैन सर चबूतरे पर खड़े थे। कुछ और टीचर्स भी। ‘खजाने की खोज’ के पुरस्कार मिलने वाले थे। जी-9 अभी खजाना खोज रहे थे। उन्हें याद था कि पुरस्कार मिलेगा। पर पर्ची में पढ़ लिया था कि पुरस्कार कैडबरी, मैगी, कार्टून फिल्म का टिकट था। अनुशासन आवश्यक है, यादव सर ने कहा था। इसलिए वो पुरस्कार वितरण देखने आ गये थे। पर उन्होंने कोई पर्ची नहीं ढूंढी थी। वो कोई और खजाना ढूंढ रहे थे। लता ने पहला पुरस्कार जीता। पर्ची पर लिखा था?रुपये नगद और एक कैडबरी सिल्क। आशीष ने दूसरा पुरस्कार जीता। पर्ची पर लिखा था 51 रुपये नगद और कुरकुरे। संगीता ने तीसरा पुरस्कार जीता। पर्ची पर लिखा था 21 रुपये नकद और एक रेनाॅल्ड 045 पैन।
कुछ और सांत्वना पुरस्कार थे। जैन सर ने सबकी पर्ची के पुरस्कार पढ़कर सुनाए। सबने तालियां बजाई। खजाने की खोज करते हुए पूरा दिन निकल गया था। भूख लग रही थी और बच्चे पचमढ़ी की ठंडक महसूस कर रहे थे। वाह! क्या शानदार जीवन है? खाना खाकर बच्चे सोने चले गये। पर स्नेहा?