स्नेहा को नींद नहीं आ रही थी। उसे कुछ करना था। बच्चे और बंदर चुप नहीं बैठ सकते। उन्हें कुछ करने की भूख होती है। वह फालतू ढूंढते रहते हैं। हर कोना, हर गली। उन्हें पता भी नहीं होता कई बार कि वह क्या ढूंढ रहे हैं? स्नेहा की डायरी खुली और वह लिखने बैठ गई। उसका दिमाग फिल्म की रील की तरह फ्लैशबेक में चल रहा था। व्योम ने देखा तो वह भी आ गया। धीरे-धीरे जी-9 वहीं इकट्ठा थे। पचमढ़ी कमाल की जगह है। वो लिखती गई। सब अपनी बातें बोल रहे थे और स्नेहा अपने नोट्स लिख रही थी।

भारत के मध्य प्रांत में इकलौता हिल स्टेशन। सतपुड़ा की पहाड़ियों से आच्छादित। समुद्र तल से 3500 फीट। अब होषंगाबाद डिस्ट्रिक्ट में है, सतपुड़ा की रानी ‘पचमढ़ी’।

पर्यटकों का स्वर्ग। वादियां और सतपुड़ा के जंगलों से बहते झरने पचमढ़ी को मनोरम बनाते हैं। यहां अपना चित्र खींचकर आप कलाकार नज़र आते हैं। सतपुड़ा नेशनल पार्क, पचमढ़ी बायोस्फियर रिज़र्व का भव्य सौंदर्य, प्रकृति के वैभव का अहसास कराता है। मध्य भारत का सबसे ऊंचा इलाका धूपगढ़। हमने वहीं से सूर्यास्त देखा था। गुफाओं में उकेरी आकृतियां 10,000 साल पुरानी तक हंै। भोपाल से 210 किलोमीटर/5.6 किलोमीटर के दायरे में बसा पचमढ़ी।

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