यादव सर का ध्यान इस प्रश्न से टूट गया। प्रष्न अपना उत्तर ढूंढ लेता है। सर समझाने लगे-आज की दुनिया एक उद्यम है और जैसा संस्कृत में एक श्लोक कहता है-

उद्यमेन ही सिध्यंति, कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशंति मुखे मृगाः।।

उद्यमियों को ही सिद्धि या सफलता मिलती है, केवल सपने देखने वालों को नहीं। सोते हुए शेर के मुंह में कोई हिरण अपने आप नहीं चला जाता।

उद्यमी क्या होता है-‘स्नेहा ने पूछा।’ उद्यमी एक मेहनती इंसान होता है, जो मजदूर नहीं है। स्नेहा ने कहा-‘मतलब?’ मेहनत दो तरह की होती है। मजदूर मेहनत और मैनेजर मेहनत। आपको ये याद रखना पड़ेगा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। जैसे प्यास लगने पर हम पानी की जगह शरबत पी सकते हैं। भूख लगने पर हम दाल-चावल की जगह मैगी खा सकते हैं। पर जो मेहनत से होता है, वो और किसी तरीके से नहीं हो सकता। पर मजदूर मेहनत माने किसी दूसरे का कहा हुआ काम करना। मैनेजर मेहनत माने अपने काम तय करना, योजना बनाना, फिर उन योजनाओं को अमल में लाने के लिए काम करना। बदलाव के लिये हमेशा खुद को तैयार रखना। देखो! मजदूर दिनभर मेहनत करके भी थोड़ा कमाते हैं और ज्यादा संघर्ष करते हैं। पर मैनेजर आराम से काम करके भी ज्यादा कमाते हैं और ज़िंदगी के मजे लेते हैं। हमें मैनेजर मेहनत करना चाहिए।

आलसियों के लिए कोई स्वर्ग नहीं होता। सर, क्या बगैर काम किये मज़ेदार ज़िंदगी नहीं बिता सकते- अनु बोली। नहीं! कैसे भी नहीं! मैंने कहा ना कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। चाल्र्स डार्विन कहते हैं-‘यह जीवन एक संघर्ष है। हमें जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।’ इस संघर्ष में वही जीवित रह पाते हैं जो अपने आप को फिट रख पाएं। दिमाग से फिट, शरीर, विचार और आत्मा से फिट। चींटी को गोबरीला खा जाता है। गोबरीला को छछूंदर, छछूंदर को बिल्ली खा जाती है, कुत्ता बिल्ली के पीछे पड़ा रहता है। भेड़िया कुत्ते को जंगल में नहीं रहने देता और शेर भेड़िये का शिकार भी छीन ले जाता है। ज्यादा ताकतवर अपने से कमजोर पर राज करता है। ताकत केवल शरीर की नहीं होती। ज्ञान की ताकत, आत्मा की ताकत, विचार की ताकत, पैसे की ताकत। आज की दुनिया शक्ति के चारों तरफ चक्कर लगाती है इसलिये शक्तिशाली बनो और मेहनत किये बगैर शक्ति हासिल नहीं होती। ताकत के देवता कर्म की पूजा चाहते हैं। योजनाओं का हवन और सफलता का प्रसाद। खैर! आपने टंकी के छेद समझ लिये। अब यदि आप तरक्की, सफलता और आनंद चाहते हो तो फेविकोल का मजबूत जोड़ लगाओ और इन छेदों को बंद कर दो। पर्सनैलिटी की सील लगा दो। फिर भरो अपने जीवन का प्याला, अपनी सफलता की टंकी। और देखो आपको पता पड़ेगा कि सब आसान है। इतना मुश्किल कुछ भी नहीं।

ठीक है सर! हमें पता पड़ गया कि क्या नहीं करना है? अब आप यह बताइये कि हमें क्या करना चाहिए- मानस ने मुस्कुराते हुए पूछा। यह जीवन की टंकी हम किन चीजों से भरें। यादव सर शांत थे। पहाड़ों की तरफ देखते हुए बोले-देखो! वो चील उस पहाड़ की चोटी के ऊपर उड़ रही है। बताओ कौन बड़ा है? चील या पहाड़? पहाड़ बड़ा है पर चील उससे भी ऊपर है- अनु बोली। सही है! कोई कह सकता है कि चील बड़ी, कोई कहेगा पहाड़। पर मैंने कहा था ना कि तुलना करना गंदी बात है। हर विषय और वस्तु अपने आप में शाष्वत है और आकार केवल एक विस्तार है। आपके आकार से आप नहीं पहचाने जाते। आपके काम, निर्णय और प्रतिक्रियाएं व्यक्तित्व की दुनिया में आपका निर्धारण करते हैं। पहाड़ चील का सम्मान करता है और चील पहाड़ से प्रेम। दोनों एक दूसरे को बड़ा और महान बनाते हैं। हमें सम्मान करना सीखना चाहिए। खुद का, दूसरों का, समय और जीवन का। हमें वर्तमान का सम्मान करना चाहिए, भविष्य का ध्यान रखना चाहिये और अतीत की किताब से सीखते रहना चाहिए। आप जीवन को जो दोगे जीवन कई गुना करके आपको वापस देगा। आप सम्मान दो और आपको सम्मान मिलेगा। तो सबसे पहले मैं कहूंगा कि आपको सम्मान करना सीखना चाहिए। खुद का, दोस्तों का, दुश्मनों का, समाज, इतिहास,विज्ञान, अतीत, भविष्य सबका सम्मान करो, तो आपको सब सिखाएंगे।

दोस्त गुरु होता है। आपमें अच्छा सीखने वाला होना चाहिए। आपको बाकी सबसे कुछ अलग होना चाहिए। जैसे सभी हैं, यदि आप भी वैसे ही हो तो आपकी कीमत कम होगी। उनसे अलग होते ही आपके बारे में वो लोग ज्यादा सोचने लगेंगे और आपका भाव बढ़ जाएगा। आखिर ज़िंदगी के बाजार में आपकी कीमत ही तो इस बात का निर्धारण करेगी कि आपने कितने नंबर का जीवन बिताया? आपमें कोई ऐसा गुण होना चाहिए जो आपको बाकी साधारण लोगों से अलग करता है। जैसे अच्छा बोलने की कला, दोस्त बना पाने की कला या कुछ भी जो बाकी लोग अच्छे से नहीं कर पाते, आप उसमें पारंगत हो जाओ और दुनिया आपका सम्मान करने लगेगी। आप में भीड़ का नेतृत्व करने का गुण होना चाहिए। आप अकेले सपना देख सकते हो, पर उस सपने को पूरा करने के लिए आपको एक टीम की जरूरत पड़ेगी। तो आप उस दल का नेतृत्व कर पाओ, ये गुण आपमें होने चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि कोई भी बड़ा बदलाव या क्रांति अचानक नहीं होती, जल्दी में नहीं होती। कोई भी बदलाव एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें एक निर्धारित समय लगता है और आपमें इतना धैर्य होना चाहिए कि आप उस बदलाव को समय दो और उस समय में आप अपनी योजनाओं पर काम करते रहो। जल्दबाज लोग आसान काम भी बिगाड़ लेते हैं, तो गुरु लोग बिगड़ते काम भी आसानी से बना लेते हैं।

आपके व्यक्तित्व में कोई करिश्मा होना चाहिए। करिश्मा एक ऐसा गुण या क्रिया है जिससे दुनिया का ध्यान आपकी ओर आकर्षित हो जाता है। और जब दुनिया आपको देखने, सुनने लगती है, तो आप हीरो बन जाते हो। करिश्मा कई तरह का होता है। कई लोग बहुत मीठा बोलते हैं, कई बहुत अच्छा खाना बना लेते हैं,और वो दुनिया में अपनी कीमत बना पाते हैं। आपमें परिपक्वता होना चाहिए। जैसे कच्चा आम, पक्का आम है तो दोनों अपने आप में कीमती पर पक्का आम मीठा होता है और बाजार उसे ज्यादा मूल्य में खरीदता है। आप जीवन को एक परिपक्व निगाह से देखो तो आसान लगेगा। नौसिखिए लोग ज्यादा तोड़फोड़ करते हैं और कम हासिल कर पाते हैं। परिपक्व लोगों को पता होता है कि जमीन में कहां पानी है, वो वहीं कुंआ खोदेंगे। उन्हें जल्दी सफलता मिलेगी। नौसिखिए ढेर सारे गड्ढे बनाएंगे पर कुआं उनकी किस्मत में नहीं होगा। परिपक्वता आपको बच्चों के बीच एक आदमी बना देती है। गालिब कहते हैं-

बासीचाए अतफाल है दुनिया मेरे आंगे।
होता है शबो रोज़ तमाशा मेरे आगे।।

मतलब यह दुनिया बच्चों के खेलने का मैदान है। मैं देखता हूं दिन-रात मेरी आंखों के सामने तमाशा चलता रहता है।

जिसे अनुभव हो, गलत-सही का ज्ञान हो और जो अपनी योजनाएं और जीवन समझता हो, वही परिपक्व है। आपको प्रेरणा चाहिए, प्रेरणा माने वो शक्ति जो आपके कार्य की शुरूआत करवा दे। हर इंसान सुबह जब सोकर उठता है, तो जीवन की प्रेरणा उसे ऐसा करवाती है, वरना वह सोता ही रह जाए। आपके पास जीवन जीने के कारण होने चाहिए और वही प्रेरणा है। आप खुद को प्रेरित करो और अपने लोगों को भी क्योंकि प्रेरणाहीन कर्म सिर्फ असफलता ला सकता है। जब उदास हों तो उन्हें आप प्रेरणा दे सकते हो। उन्हें यह याद दिला सकते हो कि अब तक जो जिया उसकी क्या योजना थी और आगे के लिए क्या तैयारी है? दरअसल परिस्थितियां, बीमारी और असफलता आपको या किसी भी इंसान को निराश कर देते हैं और निराश मन अपने ईधन और ऊर्जा का संचार बंद कर देता है। ऊर्जा जब नहीं हो, तो कार्य अपने आप रुक जाता है। जीवन चलता रहता है। बस आप! खैर!

आपमें टीम भावना होना चाहिए। ऐसा नहीं कि जो आप कहते हो, वही सही है। आपके भीतर तैयारी होनी चाहिए कि जो नेतृत्व कर रहा है, आप उसके साथ चल दोगे और यदि कोई नेतृत्व करने वाला नहीं है, तो आप आगे आओगे। सीधे शब्दों में यदि उन्हें रास्ता पता है और वह आपके मित्र हैं, तो आप उनके बताये अनुसार चल दोगे। और यदि उन्हें रास्ता नहीं मालूम तो आप रास्ते का पता लगा लोगे। आपमें ऐसे गुण होने चाहिए कि लोग आपके साथ रहने में खुशी महसूस करें। आप मुस्कुराते हो, अच्छा व्यवहार करते हो, समझदार हो, मदद करने के लिए तैयार हो, तो कोई भी आपको अपना दोस्त बनाना चाहेगा। मैं बताऊं? भगवान को भी अच्छे दोस्तों की जरूरत होती है। क्या आप में अच्छा दोस्त बनने वाले गुण मौजूद हैं? यदि हां, तो यह दुनिया आपकी है। ईष्वर के राज्य में आप राजकुमार हो। जाओ और जैसी योजना हों उसके अनुसार कार्य करो। आपकी सफलता की गारंटी खुद ईष्वर देगा।

आपको दोस्त बनाना और दोस्त बनना सीखना होगा। यह दोस्तों की दुनिया है। मैंने पहले भी बताया था कि अकेले आप सपना देख सकते हो, पर उसे पूरा करने के लिए आपको दोस्तों और टीम की जरूरत पड़ेगी। आपमें एक ऐसा नजरिया होना चाहिए जब आप हर समस्या में से एक मौका ढूंढ सके। जब आप अपने मन और मस्तिष्क को इस बात के लिए प्रशिक्षित कर दें कि ‘यह आसान है’,‘आप कर लोगे’, ‘हो जाएगा’। यदि आपका मन ऐसे सोचता है, तो आपका काम आसान है नहीं तो मुश्किल। आपको हर परिस्थिति से फायदा उठाना आना चाहिए पर इसके लिए जरूरी है कि आप फायदे देख सको। बहुत पुरानी कहानी है-‘आधा भरा गिलास, आधा खाली गिलास’’। आपको गिलास भरा हुआ देखना चाहिए, खालीपन खत्म हो जाएगा। आप की विचारधारा क्रियाशील होना चाहिए। ऐसा नहीं कि समस्या आए और आप उसके लिए तैयार ना हांे। कई लोग अक्रियाशील होते हैं, वह खुद कुछ नहीं करते बल्कि जीवन उन पर कुछ प्रयोग कर उनका इस्तेमाल कर लेता है। कुछ लोग क्रियाशील होते हैं, वो खुद जीवन पर काम करते हैं और जो भी जीवन की जरूरत हो वो कर्म करते हैं। कुछ लोग पूर्व क्रियाशील होते हैं, वह जीवन के कार्य करने का इंतजार नहीं करते, वह पहले से निर्धारित कर लेते हैं कि जीवन का क्या करना है? कैसे करना है? और वह अपनी योजनाओं को जीवन से डिस्कस भी करते हैं।

जीवन को दोस्त बनाना चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों की मदद के लिए जीवन खुद आ जाता है। जो पहले से ही तैयार होते हैं, वो योजना बना लेते हैं कि किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं और उन्हें कैसे हल किया जाएगा? ऐसे लोग जीवन के पसंदीदा व्यक्ति हैं। इन्हें जीवन का सुख और सफलता मिलना तय है। आप उन्हें किस्मत वाला कह सकते हैं। पर देखें तो आपकी किस्मत, आप और जीवन के बीच का एक समझौता है। आपने जीवन से मांगा और उसने आपको दिया- आपकी किस्मत। आपने जीवन से नहीं मांगा, आपने जीवन को दोस्त बना लिया, आपने वो पाया जो चाहिए। फिर कुछ और चाहा और वो भी पा लिया- आपकी किस्मत। जीवन आपको वो देता है आप जिस लायक हो। आपकी क्रियाशील विचारधारा बाकी दुनिया से आपको अलग कर देती है और जीवन की भीड़ में आप नज़र आने लगते हो। आपको मेहनती होना चाहिए। कई लोग ऐसे होते हैं कि उन्हें शराब, भांग या किसी नशे की जरूरत होती है। उस नषे के बिना उन्हें काम करने में मजा नहीं आता। मैं कहता हूं कि काम ही नशा बन जाए। यदि आपको काम करने में मज़ा आता है तो काम अपने आप में ईनाम बन जाता है। जैसे किसी कहावत में लिखा है-‘पुण्य स्वयं अपना पुरस्कार हैं।’ आप इसलिये अच्छे काम नहीं करते कि भगवान आपको उसका पुरस्कार देंगे, बल्कि ये आपका पुरस्कार है कि आप अच्छे काम कर पा रहे हो। सफलता, सुख, समृद्धि और अच्छा जीवन हर किसी की किस्मत में नहीं होते। अपनी किस्मत हम अपने कर्म और विचारधारा से बनाते हैं। हमें काम के मजे़ लेने चाहिए और काम खत्म होने के बाद मिलने वाले पुरस्कार पर हमारा नाम लिखा होगा।

आपको अभी और यहीं वाला नज़रिया अपनाना चाहिए। ‘देखेंगे’, ‘हो जाएगा’, ‘कल से करेंगे’ यह सब टालने वाली विचारधारा है। और जो जीवन को टालता है, जीवन उसे टाल देता है। एक महान कवि हरिवंश राय बच्चन कहते थे-‘मन में यदि कुछ अच्छा आया, तो अभी कर दो। इससे अच्छा कोई समय नहीं और मन में यदि कुछ खराब आए तो कल पर टाल दो।’ पर लोग इससे उल्टा करते हैं। मन में कुछ गलत आए तो फौरन और अच्छा कल कर लेंगे। आपको अभी और यहीं समझना होगा। आपको यथार्थवादी बनना पड़ेगा। कल्पनाएं अच्छी चीज हैं, पर यदि आप सिर्फ कल्पना के घोड़े पर दौड़ते रहोगे तो आपको एक दिन पता पड़ेगा कि यथार्थ की जमीन पर आप चल भी नहीं पाते। जीवन कल्पना का आकाश नहीं, यथार्थ का धरातल है।

आपको समझना होगा कि सच क्या है और आपको यथार्थ का सम्मान करना होगा। जीवन एक महान शिक्षक है। आपको एक अच्छा विद्यार्थी बनना पड़ेगा। जीवन आपको सब कुछ सिखा देगा। जीवन का सबसे कीमती तोहफा है-आज, अभी, यह पल। यदि ज़िंदगी आपको ‘आज’ दे और आप कहो ‘कल अच्छा था’ तो क्या ज़िंदगी को अच्छा लगेगा?

आपको जीवन का सम्मान आज करना होगा और अभी के मजे लेने होंगे। आपको मजा लेना सीखना होगा। अपने काम में यदि आपको मजा आता है, तो आप मजे करते हो, नहीं तो आपको काम करना पड़ता है। मजा आपको करना पड़ेगा। नहीं तो काम करना आपकी मजबूरी है। आप मैनेजर नहीं बने तो मजदूर अपने आप बन जाओगे। समस्या का भी मजा लिया जा सकता है और मजबूरी का भी। आप जैसे ही मज़े लेना शुरु करोगे, आपको काम महसूस नहीं होगा। तब आप कम ऊर्जा खर्च करोगे और आपको ज्यादा परिणाम मिल पाएगा। आपको जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ेगा। यदि आप ज़िम्मेदारी पूरी कर देंगे तो आपको ताकत मिलेगी। वो ताकत या अधिकार मिलने के बाद आपके पास और बड़ी जिम्मेदारी आएगी। बड़ी ताकत, बड़ी जिम्मेदारी। और फिर यदि आपको मजा नहीं आता, तो आप बोर होने लगोगे। और आपकी टंकी के छेद खजाने को संभाल कर नहीं रखेंगे। आपको खुद काम करके दिखाना होगा, दूसरों को और खुद को भी कि आप कर सकते हो और आपको डर नहीं लगता। फिर आपको दूसरों पर रौब जमाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। क्योंकि कार्यशील व्यक्ति का प्रभाव अपने आप नज़र आता है। आपको जीवन के सिद्धांत समझने होंगे। केले के पेड़ पर आम नहीं लगते। चिड़िया पानी में नहीं तैरती। कुछ भी होने का नियम है, तरीका है। आपके सोचने से यह नियम और सिद्धांत बदल नहीं जाएंगे। आप इस दुनिया को नहीं बदल सकते। सूरज वहीं से उगेगा, जो नियत है। तारे पृथ्वी पर नहीं आएंगे, आप चांद को अपने घर नहीं ला सकते और अगर ले भी आए तो कहां रखोगे? क्या, क्यों, कब, कैसे, कहां, कितना ये तर्क जरूरी हंै और इन तर्कों के उत्तर ही जीवन के सिद्धांत हैं। आपको प्रश्न पूछने पड़ेंगे, दुनिया से और अपने आप से भी। जीवन कैसे चलता है, इस बात पर आपको थोड़ा ध्यान देना पड़ेगा। और आपको नकारात्मक सोचने से बचना पड़ेगा। यदि आपने सोचा कि आप नहीं कर पाओगे, तो आप नहीं कर पाओगे। नकारात्मक विचार गंदे कॉकरोच हैं, हम इन्हें अपने बिस्तर पर नहीं सोने देते हैं। मार डालते हैं। वैसे भी बचने का सबसे अच्छा तरीका है- मारो। तो जब भी लगे कि आप कमजोर हो, अपने आप से बात करो। काम करने की कोशिश करो, प्रक्रिया समझो। जीवन आपको निराश नहीं करेगा।
आपको अपने चेहरे पर नियंत्रण करना होगा। आपका चेहरा आपके दिमाग के भीतर चल रहे विचारों की परछाई दिखाता है। दुनिया परछाई देखकर पता लगा लेती है कि कौन आया है? आपके भीतर की दुनिया में क्या चल रहा है, यह बाहर की दुनिया को समझ नहीं आना चाहिए। आपके चेहरे पर क्या आएगा, यह आपको निर्धारित करना है। दुनिया को यदि सब बातें पता पड़ गईं तो वो ज्यादा ताकतवर बन जाएगी। फिर आप खुद को कमजोर महसूस करेंगे। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि चीजें बीच में छूट ना जाएं। आप इधर भी भागो और उधर भी और आप कहीं पहुंच न पाओ तो आप जीवन का समय नष्ट कर रहे हो।

आपको चलने से पहले योजना बनानी चाहिए और चलना शुरू कर देने के बाद तब तक नहीं रुकना चाहिए, जब तक कि आप पहुंच ना जाओ। हां! यदि थक जाओ, तो भले ही आराम कर लो। पर बीच रास्ते से वापस नहीं आना चाहिए। आपमें साहस होना चाहिए। जीवन के बैल को सींग पकड़कर काबू में कर सकते हैं या दोस्त बनाकर। यदि किसी बाजार में एक सांड आ जाए तो बच्चे और बूढ़े डरकर भागते हैं, औरतें चिल्लाने लगती हैं। कोई लाठी उठा लाता है तो सांड सींग हिलाने लगता है। लाठी मारकर आप जीवन के गुंडों से नहीं बच सकते। उन्हें सींग पकड़कर रोक लो, आप हीरो बन जाओगे। और याद रखना सींग पकड़ने के लिए आपको साहस की जरूरत पड़ेगी। यदि आप नहीं डरते तो आप जीत जाते हो। हां! आंखें और दिमाग खुली रखनी पड़ेंगी। यदि आपने ध्यान नहीं दिया, तो गलती हो जाएगी और समस्या वहां से आती है जहां से आपका ध्यान हट गया है या जब आपको खुद पर बहुत ज्यादा विष्वास हो।

विष्वास दो तरह के हो सकते हैं-एक आत्मविष्वास और दूसरा अतिविष्वास। यदि आपको लगता है कि काम आसान है और आप कर सकते हो, तो ये आत्मविष्वास है। यदि आपको लगता है कि केवल आप ही कर सकते हो तो यह अतिविष्वास है। आप में विष्वास होना चाहिए। अतिविष्वास टंकी का छेद है, एक मायनस। आपको खुद से किया हुआ वादा याद रखना चाहिए। शुरू होते समय आपने खुद से वादा किया था कि आप अंत तक पहुंचेंगे। आप में अखंडता होनी चाहिए। यदि आपके व्यक्तित्व में दरारें हैं, तो चीटियां और दीमक अपना घर बनाने में देर नहीं लगाएंगे। आपको परिस्थिति और समय को अंगीकार करना सीखना चाहिए। यदि आप ही परिस्थिति बन जाओ, तो आप जो चाहो किया जा सकता है। आपको ज्ञान की जरूरत पड़ेगी। ज्ञान और शिक्षा में अंतर है। शिक्षा आप किताबों से स्कूल में सीखते हो। पर ज्ञान आपको जीवन की पाठशाला में मिलता है। आपके अनुभव, आपके जीवन के तर्क। ज्ञान आप कहीं से भी सीख सकते हो। बादल, तितली, मकड़ी, गुलाब कोई भी आपको गुण सिखा सकता है। गुरु ढेर सारे घूम रहे हैं। आपको अच्छा विद्यार्थी बनना चाहिए। आपको व्यक्तित्व पर ध्यान देना होगा। आप यदि अपने आप से प्रभावित नहीं होंगे, तो आप दुनिया को भी प्रभावित नहीं कर पाएंगे। आपकी क्या बातें उन्हें अच्छी लगती हैं, आकर्षित करती हैं और आपके किन गुणों के कारण आप पीछे रह जाते हैं, आपको यह जानने का प्रयास करना चाहिए।

आपको महत्वाकांक्षी होना चाहिए। आपके मन के भीतर कोई बड़ा सपना होना चाहिए। कोई महत्व की आकांक्षा। आखिर हमारे जीवन का उद्देश्य ही महान बनना है। आपको महान बनने के लिए पैदा किया गया है। महान मतलब बड़ा। आप जिस भी क्षेत्र में रहो, सबसे आगे रहो। कुछ लोगों में आपका नाम होना चाहिए। आप यदि जल्दी संतुष्ट हो जाते हो, तो बड़े सपने आपके लिए नहीं बने।

आपके जीवन में उत्साह होना चाहिए। उत्साह ऊर्जा से भरी एक मानसिक अवस्था है जिसमें शरीर अपने आपको इस्तेमाल होने देना चाहता है। ऐसी अवस्था में यदि आपका उद्देश्य सामने हो, तो उसे पूरा होना ही पड़ेगा। उत्साह और योजना सफलता के लिए जरूरी सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं। यदि आपमें उत्साह नहीं, तो आप बोर होते हुए नज़र आएंगे। फिर चाहे पार्टी हो या पिकनिक हो, परीक्षा या क्रिकेट का मैच। जीवन का मजा बहता रहेगा और आप कछुए की तरह सर छुपाए बैठे रहोगे। आपको उत्साह उन लोगों से मिलेगा जिन्होंने सफलता पा ली है या फिर आपको बच्चों के बीच जाना होगा क्योंकि उनके भीतर मासूम आत्मा रहती है जो जीवन पर आश्चर्य करती है। उत्साह के लिए आश्चर्य जरूरी है।

आपको आलोचनाओं के लिए तैयार रहना चाहिए। जीवन के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि-‘‘यदि आपकी आलोचना हो रही है तो यह बुरा मानने वाली बात नहीं है।’’ यदि सही आलोचना है, तो गलती सुधारोे और गलत आलोचना है तो याद रखो वो आलोचक आपके दोस्त बनना चाहते थे पर उन्हें सही तरीका नहीं मालूम। इसीलिए वो आपके बारे में बातें करते रहते हैं। वरना आज की दुनिया में आपके पास समय कहां है? दुनिया आपसे कहती है कि कमियां बताओ ताकि सुधार सकें। पर वह केवल तारीफ सुनना चाहती है। आपको अपनी आलोचनाएं सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए और दुनिया की आलोचना करने से बचना चाहिए। पर आप याद रखना कि आज तक किसी भी आलोचक की मूर्ति नहीं बनाई गई और कोई आलोचक महान नहीं बन पाया। शायद आलोचना करने वाले श्रीमान अपने आप को भूल जाते हैं। आलोचक एक ऐसा व्यक्ति है जिसे रास्ता तो मालूम है, पर गाड़ी चलाना नहीं आता। आप उनसे मिलकर परेशान मत हो, उनका फायदा उठाओ। अपने दिल और दिमाग को आलोचनाओं के लिए तैयार करो। मेरा मुझसे बड़ा आलोचक इस दुनिया में कोई और नहीं और प्रशंसक-यह दुनिया जाने। आप खुद को तैयार रखो, दुनिया आपकी मदद करने के लिए कहीं भी मिल जाएगी।

आपको संचार प्रक्रिया सीखनी चाहिये। संचार हमारे सूचनाओं और आंकड़ों को व्यक्त करने का माध्यम है। जब आप कहते हो कि दुनिया आपको नहीं समझती, तो मुझे सुनाई देता है कि आप दुनिया को समझा नहीं पाते। संचार माने आपके पास विचार हैं और आप उस विचार को दुनिया के सामने व्यक्त करते हो। आप चाहते हो कि दुनिया आपका विचार समझे, पर दुनिया की अपनी सीमाएं हैं। भाषा, स्तर, शिक्षा और बहुत सारी सीमाएं। वह जो कर पाते हैं, उससे ज्यादा उम्मीद आपको नहीं करनी चाहिए। आप उन्हें अपनी बात समझा दो ये आसान है। वो आपको समझ जायें ये थोड़ा मुश्किल है। मानव की तरक्की का इतिहास संचार का इतिहास है, जो अपनी बात समझा पाया, वो बड़ा बन गया। जिसकी बात समझी नहीं गई, वह छोटा रह गया।

आपको अवसर समझने होंगे। मौके आसमान से टपकते हैं, आप यदि उन्हें लपक सको तो मौका आपका हो जाएगा। यदि एक मौका छूट जाए तो आप परेशान मत हो। मौके आसमान से टपकते हैं, लगातार। आपको मौके की चिंता नहीं करना चाहिए। वो आते रहेंगे, एक के बाद एक। आपको मौकों का इस्तेमाल करना सीखना होगा। परिस्थितियां और समय बदलते हैं। आप अपने आपको उन बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार ढाल सको तो आप सफल हो जाओगे। याद रखना एक शायर कहता है-

बदलती फिज़ाओं में खुद को बदलना सीखो।
ख्वाब मंजिल के ना देखो पहले चलना सीखो।।

दुनिया और फिजाएं (माहौल) लगातार बदल रही हैं। आप यदि दीदी ढीठ और जिद्दी बन गये तो नुकसान होगा। आपके पास मंज़िलें, ख्वाब और सपने हैं, ये अच्छी बात है। पर सबसे जरूरी यह है कि आपको चलना आता हो। बदलती हुई दुनिया के साथ आपका मस्तिष्क औेर विचार नये हो जाते हैं। अपनी योजना के अनुसार आपको मौके का इस्तेमाल करना चाहिए जिसमें अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख संभव हो सके।

आपको अपने अतीत से सीखना होगा। वर्तमान से संतुष्ट होना होगा और भविष्य को बेहतर बनाने की योजना बनानी होगी। आपने यदि अतीत की गलतियों से नहीं सीखा तो आप वही गलतियां बार-बार दोहराएंगे। आप यदि वर्तमान से संतुष्ट नहीं हुए तो एक पल बाद वह असंतुष्ट भूतकाल बन जाएगा। आपने भविष्य के लिए यदि योजना नहीं बनाई तो एक दिन अचानक भविष्य सामने आ जाएगा। और तब आपके पास योजना बनाने का मौका नहीं होगा। आपको प्रतियोगिता करनी होगी। दूसरों से भी और अपने आप से भी। अपने आप से प्रतियोगिता कर आप खुद के लिए चुनौती बन जाओगे और आपका मन मस्तिष्क चुनौतीपूर्ण विचारों से भरा रहेगा। दूसरों से प्रतियोगिता करके आपको पता पड़ेगा कि आप दमदार हो और उनसे आगे आने की क्षमता आप में है। पर जब आप अपने आप पर सिद्ध हो जाओगे तो दुनिया आपसे प्रमाण मांगना बंद कर देगी। आप प्रतियोगी बनो, दुनिया एक चुनौती है। कोई कवि कहता है- ‘मन एक सीपी है, आषा मोती है। हर पल जीवन का एक चुनौती है।’ आगे कवि कहता है-‘सोने ना दे आग सीने की, कर ले लगन से तू प्यार, आवाज देकर बुला ले तू, तेरे लिए है बहार। जो बन जाता है धूल राहों की, उसकी दीवानी मंज़िल होती है। हर पल जीवन का एक चुनौती है।’

दुनिया विज्ञान के नियमों से बंधी है। आकर्षण के नियम, प्रतिकर्षण के नियम, गुरुत्व और चुंबकत्व के गुण। आपके भीतर आकर्षण तभी होगा, जब अभ्यास आपको उसके लायक बना दे। गुरु आपके भीतर गुरुत्व पैदा कर देंगे। आप जैसे और सभी या फिर आप जो चाहते हैं आपसे खिचने चला आएगा। जो अपने आपको भूल जाएगा उसे दुनिया याद रखेगी। आपको उद्देश्य और मंज़िल सामने रखनी चाहिए। बाकी सब आपके पीछे आ जाएगा। आपको शांत होना चाहिए, जैसे सब कुछ आपके नियंत्रण में है। यदि आपके चेहरे पर तनाव नज़र आया तो साधारण लोग भी पता लगा लेंगे कि आप पूरी तरह तैयार नहीं हो। जीवन की एक्सरे मशीन तो बहुत शानदार है। जीवन से कुछ छुपा पाना आसान नहीं है। आप यदि हाथ बांधकर रखे हो तो जीवन समझेगा आप तैयार नहीं हो। दरवाजे बंद हैं। कुछ भीतर अपने आप नहीं आता। खासतौर पर मेहमान। हां! कॉकरोच, चूहे, बिल्ली बंद दरवाजों के बावजूद आ जाएंगे। पर मेहमान, उनके लिए तो दरवाजा खोलना होगा। आप यदि कमर पर हाथ रखे हो तो दुनिया समझेगी, आप तैयार हो। आपका हाथ यदि सर के पीछे है तो दुनिया कहेगी, आप थक गए हो। आपका हाथ आपकी जेब में होना चाहिए जैसे आपको पता हो कि सब आसान है। दुनिया आपकी जेब में है। मंज़िलें, उद्देश्य, इच्छाएं, आकांक्षाएं, सफलता सब आपकी जेब में है। आप जब चाहें, उन्हें निकालकर दुनिया के सामने सिद्ध हो जाओगे। पर तब तक कोई जल्दी नहीं। आपके हाथ आपकी जेब में हैं। आप दुनिया को दिखाने के लिए सफल नहीं होते। ये आपको अपने आप के लिए चाहिए। आप जीवन का सम्मान करना सीखो।

आजकल के बच्चे जिद्दी हो गए हैं। कार्टून फिल्म हो या मैगी, कैडबरी हो या कोई और इच्छा, वो हाथ पैर पटकने लगते हैं। उनके मम्मी-पापा परेशान हो जाते हैं और किसी भी तरह अपने बच्चे की इच्छा पूरी कर देते हैं। फिर उस बच्चे को लगता है-यही सही तरीका है। जब वो बड़ा हो जाता है तो यही प्रशिक्षण उसका अनुभव बन जाता है। वो जीवन के सामने हाथ पैर पटकता है। पर याद रखना ज़िंदगी किसी की मम्मी नहीं है, वह ऐसे जिद्दी बच्चों का काम लगा देती है। ज़िंदगी एक शिक्षक है जो सिर्फ ज्ञान और प्रक्रिया से प्रेम करती है। आप वो करो, जो आपको करना चाहिए और जीवन आपको वो देगा जो आप चाहते हो। ज़िद की भाषा जीवन को समझ नहीं आती। जीवन प्रक्रिया का रसायन है।

आपको सम्मान करना सीखना होगा, जीवन का और जीवन के हर पहलू का। आप सम्मान करोगे और ज्ञान हासिल करते रहोगे तो प्रेम अपने आप आ जाएगा। फिर जीवन आपसे आकर्षित होगा। यदि आपके भीतर लोहा नहीं है तो सफलता की चुंबक आपसे आकर्षित नहीं होगी। आपको धन्यवाद देना चाहिए सभी को। जीवन ने जो आपको दिया उसके लिए कभी आसमान और ईष्वर की तरफ देखो और कहो-‘धन्यवाद!’ उन्हें अच्छा लगेगा। असल में जीवन भी अब बोर होता होगा क्योंकि ऐसा काम करने का क्या मज़ा जिसके बदले में कुछ मिले ही नहीं। धन्यवाद और मुस्कुराहट भी नहीं। बाकी आप जीवन को और क्या देंगे, पर धन्यवाद जीवन को अच्छा लगेगा। अपने मां-बाप को धन्यवाद दो। उन्होंने आपको जीवन दिया,उसकी देखभाल की। खासतौर से तब, जब आप खुद अपने लिए कुछ नहीं कर सकते थे, रोने और हाथ पैर पटकने के अलावा। मां-बाप ने वो सब कुछ किया जो वो कर सकते थे। अब आप लायक बन गए हो। अपने आधारभूत कार्य कर सकते हो, तो अब क्या आपको अहसान फरामोश हो जाना चाहिए? अधिकतम लोग सोचते हैं कि यह तो उनका काम था, उनकी जिम्मेदारी थी। मैं आपको बताऊं ज़िंदगी ने किसी की जिम्मेदारी किसी को नहीं सौंपी। आप अपने लिए खुद जिम्मेदार होते हो। हां! मां-बाप, अच्छे दोस्त, अच्छी किस्मत का हिस्सा है। यदि हम अच्छी किस्मत का सम्मान नहीं करेंगे, तो खराब किस्मत हमारा अपमान करने आ जाएगी। आपको धन्यवाद देना सीखना होगा। मान लो आपको कोई काम करने को कहा जाए और उसके बदले में पैसा ना मिले, पुरस्कार भी ना मिले, मजा ना मिले और कोई धन्यवाद भी ना कहे तो क्या वह काम आप बार-बार करते रहना चाहेंगे। नहीं! आप बोर हो जाएंगे। जीवन जब आपसे बोर होता है, तो वो आप पर ध्यान देना बंद कर देता है और जब आप ज़िंदगी को आकर्षित नहीं कर पाते, तो जीवन निरर्थक महसूस होता है। यदि आप चाहते हो कि जीवन आपके लिए बाहें फैलाये, मुस्कुराता रहे, तो आपको धन्यवाद देना होगा, दिल से। आपको अपने मित्रों को भी धन्यवाद करना होगा, जिन्होंने आपको तब समय दिया जब आप चाहते थे। आपको धन्यवाद देने की मनःस्थिति पैदा करनी होगी। जब आपकी मासूम आत्मा अनुग्रहित महसूस करे और मन से आवाज आए- थैंक्यू, शुक्रिया, धन्यवाद! जीवन आपके लिए रास्ते आसान बना देगा।

आप अच्छे बनना सीखो। आपको काम के तरीके सीखने होंगे। आपके तरीकों से सारे काम नहीं हो सकते। मैंने कई लोगों को कहते सुना है-अपना तो यही तरीका है। अपन तो ऐसे ही चलते हैं। अपना अपन बार-बार दोहराने से आप कोई इस धरती के राजा नहीं बन जाओगे। बस थोड़े जिद्दी और घमंडी सुनाई देने लगोगे। तब ज़िंदगी का ध्यान आपकी ओर से हट जाएगा। जीवन को घमंड का स्वर अच्छा नहीं लगता। आप कार्य चुनो और प्रक्रिया समझो।

कार्य कई प्रकार के होते हैं और हर काम का अपना तरीका है। यदि आप में सीखने की इच्छा नहीं है, तो आप काम करने के लायक नहीं हो। तो फिर आपका काम हो जाएगा। या तो आप काम का तरीका सीखो, अभ्यास करो, प्रयास करो और काम निपटा दो। नहीं तो रुके हुए, बचे हुए, असफल काम आपको निपटा देंगे। आपको उपलब्धियों के लिए काम करना चाहिए। जीवन से आपको जो चाहिए वो आपकी महत्वाकांक्षा है। जब आप सफल होते हो, तो आपको वो आकांक्षा उपलब्ध हो जाती है। आपका मन आकांक्षाओं और इच्छाओं के घोड़े पर सवारी करता है। जो आपको उपलब्ध हुआ, वह आपकी उपलब्धि बन जाती है। आपको उपलब्धियों का ध्यान रखना होगा। वो अपने आप नहीं आती। आपको उन तक पहुंचना होता है। आपको परिस्थितियों की समझ होनी चाहिए। उन परिस्थितियों का आप किस तरह प्रयोग कर सकते हैं, यह विकल्प आपके पास होने जरूरी हैं। परिस्थिति में बदलाव होते हैं, पता नहीं हवाएं कब किस दिशा से चल दें। परिस्थिति में आये बदलावों को नियंत्रित करना आसान नहीं, पर बदली हुई परिस्थिति का इस्तेमाल आपके नियंत्रण में है। और अपनी उपलब्धि के अनुसार परिस्थिति को अपने अनुसार ढाल लेना आपकी समझदारी है। आपको समझदार होना चाहिए ताकि परिस्थितियों को समझकर उनका इस्तेमाल किया जा सके।

आपको अपने गुण दुनिया के सामने पेश करना चाहिए। यदि आपके भीतर गुण हैं और दुनिया को नहीं मालूम, माने आप ज़िंदगी के स्टेज पर आने से डरते हो। शेक्सपियर बहुत पहले समझ गये थे कि-‘यह संसार रंगमंच है और हम सब कलाकार।’ आप किसी के हाथ की कठपुतली नहीं हो, कोई और निर्देशक आपको नहीं कहेगा कि क्या बोलो और कैसे बोलो? आप इस रंगमंच पर पहले ही आ चुके हो। अब अपने डर को इंजेक्शन लगाओ और खत्म करो। अपना किरदार चुनो, विष्वास के साथ अपना अभिनय करो। सही डायलॉग बोलो, जो जरूरी है, वह करके बताओ। दुनिया आपके लिए तालियां बजायेगी, नहीं तो मजाक उड़ायेगी।

खैर! दुनिया को जाने दो। पर क्या आप यही नहीं चाहते कि इस रंगमंच पर आपका नाम लिखा हो। सब बड़े होना चाहते हैं पर अपने छोटे-छोटे डर और मोह से बाहर नहीं आ पाते। बुद्ध ने कहा था-‘मोह दुख का कारण है।’ आप में जो भी क्षमताएं एवं गुण हैं, आपको उन पर काम करना चाहिए। और दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करना चाहिए। क्या है सही तरीका- विष्णु ने पूछा?

यादव सर बोले-मान लो मैं आपको कैडबरी सिल्क दूं। आपको कैसा लगेगा? बच्चे बोले मज़ा आ जाएगा। अब मान लो मैं दुकानदार हूं। आपने मुझे पैसे दिये और मैंने आपको कैडबरी सिल्क दी, आप खुश होकर वापस चले जाओगे। अब मान लो मैं उस कैडबरी सिल्क की नीली पन्नी उतार दूं और फिर आपको दूं, तो आपको शायद उतना अच्छा नहीं लगे। कीमत पूरी वसूल नहीं हुई। अब मान लो कैडबरी सिल्क जमीन पर गिर जाये, मैं उसे उठाऊं, झाड़-पोंछकर आपको दे दूं। हम नहीं लेंगे सर-व्योम बोला। अच्छा अब मान लो कैडबरी सिल्क में चींटी लगी हांे या मेरे हाथ गंदे हों। बच्चे मुंह बना रहे थे। उनके 50 रुपये बेकार गये, कैडबरी सिल्क भी नहीं मिली। अब छोड़ो सोचना। समझो कि वह नीली पन्नी सिर्फ 20 पैसे की थी और कैडबरी सिल्क 50 रुपये की। पर उस पन्नी के बगैर कैडबरी सिल्क उतनी अच्छी नहीं लगती। यह है पैकेजिंग। आपको अपने गुण और विशेषताओं की सही पैकेंिजग करनी पड़ेगी और फिर उन्हें ज़िंदगी के स्टेज पर पेश करना होगा। देश, काल और परिस्थिति के अनुसार पैकेजिंग बदलती रहेगी और आप ज़िंदगी के मंच पर उपलब्धियां हासिल करते रहोगे। तालियां बजती रहेंगी, तब तक जब तक एक दिन आपका किरदार खत्म न हो जाये। फिर पर्दा गिर जाएगा। ज़िंदगी का नाटक चलता रहेगा। बस आपका रोल खत्म हो जाएगा। आप यही तो चाहते थे। पर क्या आप इसके लिए तैयार हो? क्या आप अपने जीवन की कीमत वसूलना चाहते थे या फिर जीवन आपके लिए जमीन में पड़ी कैडबरी सिल्क है। याद रखना-यदि आप जीवन का इस्तेमाल नहीं करोगे, तो कोई और आपके जीवन का इस्तेमाल करेगा। कोई विचारक कहता है- ‘ज़िंदगी एक आइसक्रीम है, जो लगातार पिघल रही है। इसे जमीन पर गिरने से पहले खा लो।’ आप इसे पिघलने से नहीं रोक सकते। ज़िंदगी को रोका नहीं जा सकता। फिर यदि सड़क पर आ गये, तो चींटियां खाएंगी। लोगों के जूते-चप्पल, धूल-मिट्टी। आइस्क्रीम की कीमत खत्म हो जाएगी और दोबारा आइस्क्रीम मिलेगी या नहीं, इसका कुछ पता नहीं। तो आपको ये समझना होगा कि जीवन अभी है, यहीं है। छूट गया तो फिर नहीं मिलने वाला। आपको जीवन का इस्तेमाल कर अपने सपने पूरे करने थे। आप दुनियादारी के चक्कर में मत पड़ो। ईष्वर ने आपको दुनिया के लिए पैदा नहीं किया। आप समय की कीमत समझो। आपके पास जीवन भर का समय है, पर सिर्फ आपका जीवन भर। औसत व्यक्ति की तरह समझें तो 65 साल आपका जीवन है। इन 65 साल में से कुछ गुजर गए। आपके काम बढ़ते जा रहे हैं, समय कम हो रहा है, अब आपको चुनना होगा कौन सा काम? और कितने समय में? यदि आप ऐसा नहीं कर पाये, तो आप फालतू के काम करते रह जाओगे और समय दोबारा आपके पास नहीं आएगा। आप उसके लिए कोई भी कीमत चुका दो, पर समय की पोटली में से एक पल भी वापस ले आना किसी के लिए भी संभव नहीं है। समय एक बार चला जाए तो दोबारा वापस नहीं आता। समय की कीमत समझनी होगी। आपको कुछ नये के लिए तैयार होना होगा। जीवन हमेशा नवीन सृजन चाहता है। यदि जीवन हमेशा संतुष्ट रहता तो फिर मृत्यु की जरुरत ही क्या थी? सृजन माने बेहतर चीजों का निर्माण, बेहतर तरीके, सेवाएं, तकनीक, विचार, कृत्य या कुछ भी जो पहले से बेहतर हो। बाजार और सृजन एक दूसरे के साथ ही फलते-फूलते हैं। दुनिया एक बड़ा बाजार है और सृजन से नये उत्पाद बाजार को मिलते हैं। बाजार कुछ नया पाकर खुश होता है और ज्यादा कीमत देने के लिए भी तैयार हो जाता है। कोई अर्थशास्त्री कहता है-‘व्यापार के लिए पैसा जरूरी नहीं, अनुभव उतना महत्वपूर्ण नहीं।’ और फिर आप आसमान की तरफ सिर उठाते हो, आपको पता है, यह नया विचार जो आसमान से ही टपका था अभी आपके पास है और यह बाजार आपका स्वागत मुस्कुराते हुए करेगा। जीवन सिर्फ दो काम चाहता है- कुछ नया बनाओ और उसे दुनिया तक पहुंचा दो।

सृजन एक क्षमता है जो किसी भी परिस्थिति में बदलाव लाने के लिए तैयार है। जहां दुनिया परेशान और तनाव में हो तो सृजन एक मौका ढूंढता है। यदि तनाव कम करने का कोई तरीका हो, तो दुनिया के सामने लाओ और छा जाओ। सृजन भरोसे से आता है। अपने आप पर भरोसा करो और जितना काम करो, उससे ज्यादा उम्मीद मत करो। सृजन का हुनर आपको आपके जैसे बाकी सभी लोगों से अलग कर देगा। आप खुद का भी सृजन करना सीख लोगे। आपको स्त्रोत तलाशने होंगे। जो जैसा दिखता है, वैसा ही नहीं होता। एक बच्चा जो जिद्दी था, बड़ा होकर गुंडा बन गया। अब बताओ क्या वो गुंडा पैदा हुआ था? नहीं! उसके बचपन में ढूंढना पड़ेगा, उसके गुंडा बनने का कारण। जो अभी दिखता है, वो अतीत में पैदा हुआ था। समय की धारा में बहकर वो यहां आ गया पर वह कहां से शुरू हुआ था, यह जानना जरूरी है। स्त्रोत बंद होते ही बड़ी-बड़ी नदियां सूख जाती हैं।

आपको अद्वितीय होना होगा। आप जैसे यदि और भी हैं माने आप उन जैसे हो। तब आपकी कीमत उतनी ही है, जितनी उनकी। माने विकल्प उपलब्ध हंै फिर सौदा किया जा सकता है। आप अमूल्य नहीं हो क्योंकि आपका विकल्प उपलब्ध है। आप कुछ ऐसा करो जो कोई और नहीं कर सकता। आप कुछ ऐसा बनो जो और कोई नहीं है। आप कुछ ऐसा उपलब्ध कराओ जो अब तक किसी ने सोचा भी नहीं।

आपके पास धारणा होनी चाहिए। जीवन की धारणा, अस्तित्व, सफलता, मृत्यु, परिवार, समाज सभी ऐसे विषय हैं जिनके बारे में आपकी धारणा आपके जीवन का निर्धारण करती है। धारणा एक विचार है जो आपके मस्तिष्क में ठहर गई है। मस्तिष्क ने उस विषय पर किये गये तर्कों को एक जगह सम्मिलित कर एक निर्णय ले लिया है। यह आपके विचार के पुल हैं। कुछ विचार तो मस्तिष्क में रुक गये और कुछ जिन्हें आपने व्यक्त करना शुरू कर दिया। धारणा से ही आपकी योजनाओं को उपकरण मिलेंगे। आपकी धारणाएं वो शुरुआती तत्व हैं जिन्हें आपका मस्तिष्क बार-बार छुएगा। क्योंकि जो चुनाव आप कर चुके, उसी आधार पर मस्तिष्क आपके लिए नए संदेश खोजेगा।

आपको जानकारी जुटानी होगी। यही जानकारी बाद में आपका अनुभव और ज्ञान बन जाएगी। आपको उन विषयों में दिलचस्पी लेनी होगी जो आपके जीवन को दिशा दे सकते हैं। वो विषय कई बार कक्षा में पढ़ाए जाते हैं, कई बार कुछ विषय जीवन की किताब से पढ़ने होते हैं। स्कूल की परीक्षा में पास हो जाओ तो आपको अगली कक्षा में प्रवेश मिल जाता है। जीवन की परीक्षा में पास हो जाओ तो आपको सम्मान मिलता है, ताकत मिलती है।

आपको तर्क ढूंढने चाहिए। चाहे जैसा भी हो आपका जीवन। आपके पास तर्क होना चाहिए वैसा जीवन बिताने के और यदि आपके पास तर्क नहीं है तो आप अपने जीवन का पूरा उपयोग नहीं कर पाएंगे। आपके पास क्या, क्यों, कब, कैसे, कहां, कितना, इन प्रश्नों के उत्तर होने चाहिए। यदि जीवन के इन प्रश्नों का उत्तर आपने ढूंढ लिया तो आपकी सफलता जीवन की जिम्मेदारी होगी। आपके पास व्यूह रचना होनी चाहिए। जीवन एक युद्ध है चाल्र्स डार्विन ने भी यही कहा था कि जीवन एक संघर्ष है। पर युद्ध जीतने के लिए सिर्फ लड़ना काफी नहीं है। सिर्फ ताकत के बल पर युद्ध नहीं जीते जाते। युद्ध जीतने की योजना बनानी पड़ती है और जब आप योजना बना लें तो जीवन अचानक परिस्थिति बदल देता है। और आप कितना तैयार हो नई परिस्थिति के लिए, इस पर आपकी विजय निर्धारित होती है। एक महान सेनापति नेपोलियन बोनापार्ट कहते हैं-‘वह सेनापति दुखी होने वाला है जो अपना तरीका लेकर युद्ध के मैदान में गया है।’ जीवन के युद्ध में आप किसी एक तरीके पर भरोसा मत करो। सीखो बस। सारे तरीके आपका ज्ञान बन जाएंगे। देखो अपने युद्ध का मैदान, जीवन के धरातल पर ध्यान दो। दुश्मन की कमियां जानो। अचानक प्रहार करना सीखो। और यदि जीवन परिस्थिति बदल दे तो तैयार रहो क्योंकि बदली हुई परिस्थिति आपके लिए एक नया खेल है। हवाओं का कोई भरोसा नहीं होता कभी भी दिशाएं बदल लेती हैं। तैयार रहो जीवन से कम आपको कुछ नहीं चाहिए। जीवन युद्ध है, लड़ो और जीतो। और आपको स्वयं जीतना होगा। कोई और आपकी आंखों से नहीं देख सकता। कोई और आपके पैरों से नहीं चल सकता। कोई और आपका जीवन नहीं जी सकता। कोई और आपकी मौत नहीं मरेगा। फिर यदि अपने लिए खुद ही मरना है तो अपना जीवन अपने तरीके से क्यों ना जियें? आपको जीवन अपने दम पर जीना होगा। कुछ करके दिखाना होगा। आपको मार्गदर्शक की जरूरत पड़ेगी। जीवन आपके लिए दोस्त भेज देगा। उन्हें शिक्षक कहो या गुरु या आचार्य या मां-बाप या दोस्त। उन्हें मालूम है रास्ता और वो आपको बताना चाहते हैं। आपके भीतर की जिज्ञासा और एक अच्छा दोस्त बनने की क्षमता ही इस बात का निर्धारण करेगी कि आप जीवन से क्या पा सके?

आप अपने आप को रास्ता बताओ। ईष्वर ने आपके भीतर चेतना का दिशा सूचक यंत्र फिक्स किया है। आप चेतना का इस्तेमाल करो और जीवन जो कहता है, बस करते जाओ। आपको जिम्मेदारियां लेनी होंगी और उन्हें पूरा करने का ईमानदार प्रयास करना होगा। जिम्मेदारियां आपको ताकतवर बनाएंगी और ताकत के साथ और जिम्मेदारियां आ जाएंगी। पर आप यदि जिम्मेदारियों से भागने लगे तो ताकत भी आपके पास नहीं ठहरेगी। आपको जीवन का मजा लेना चाहिए। जीवन नए ईनाम उन्हीं को देता है जिन्होंने पुराने ईनामों के लिए पार्टी दी हो। आपको यदि सफलता का मजा नहीं आता तो आप आगे सफल होने वाले द्वार बंद कर दोगे। दरअसल आपके भीतर का मज़ा जीवन को आपकी तरफ आकर्षित करता है। आपने देखा होगा, जब छोटे बच्चे मस्ती कर रहे हांे तो बड़े रुक- रुककर उन्हें देखने लगते हैं। उन बड़े लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट होती है। सभी चाहते हैं बच्चों जैसा जीवन। क्या अंतर है बच्चों और बड़ों में? मज़ा! बच्चों को मज़ा आता है, बड़ों को नहीं। बच्चों का जीवन मज़ा है और बड़ों का जीवन मजबूरी। इसीलिए बच्चे जल्दी बड़े होते हैं और बड़े जल्दी बूढ़ेे हो जाते हैं। आपको मज़ा लेना चाहिए। हार या जीत, सुख या दुख, पहाड़ या घाटी, सफेद या काला। जीवन जो भी दे उसके मजे लो और जीवन को बता दो कि आपको उससे क्या चाहिए? कुछ गलत हो तो चुनौती दो। जीवन बुरा नहीं मानता। यदि आप गलतियां झेलते रहोगे और करते रहोगे, तो कुछ खास नहीं बदलेगा। यदि दुनिया गलती करे तो देखो, टोको। पर यदि आप खुद गलती कर रहे हो, तो चुनौती दो अपने आप को। आपके भीतर का व्यक्ति यदि चुनौती स्वीकार कर ले तो बताओ कि वो गलती कैसे दूर होगी? उसे सही कैसे किया जाए? जीवन का हर पल एक चुनौती है और यदि आप उस चुनौती को स्वीकार कर जुट जाएं उसे सफल होकर सिद्ध करने में तो जीवन आप से प्रभावित हो जाएगा। तब आप और जीवन दोस्त बन जाएंगे। फिर जीवन आसान होगा।

आप धोखा देने से बचो। अपने लोगों को धोखा देने से दोस्त कम हो जाते हैं और जब आप खुद को धोखा देने लगे, तो फिर कुछ नहीं बचता। धोखा देना छोटे व्यक्तियों का काम है। बड़े खिलाड़ी दुश्मन को हरा देते हैं। जीतने के लिए धोखा सही हथियार नहीं है। खेलना सीखो और जीतकर बताओ। धोखा एक बूमरैंग है जो आखिर में उसी पर वार करता है जिसने उसे चलाया था। आप अपने वादे पूरे करो। वो वादे जो आपने अपने दोस्तों से किये थे और वो वादे भी जो आपने अपने आप से किये थे। एक कवि कहता है-‘जंगल घने हैं, गहरे हैं, सुंदर हैं, पर मुझे अपने वादे निभाने हैं और सोने से पहले मीलांे दूर जाना है।’ आप वादा करने के पहले निश्चित कर लो कि क्या आपके पास वादा पूरा करने का समय और क्षमताएं हैं? यदि आपको लगे कि आप वादा पूरा नहीं कर पाओगे तो वादा मत करो। क्योंकि यदि वादा करने के बाद आप उसे पूरा ना करो तो आपका अपमान होगा। पर आप कई बार ऐसे वादे कर लेते हो जो पूरा होने में बहुत समय लगाते हैं। और उन वादों को पूरा करने से आपके जीवन को कोई बड़ा फायदा नहीं मिलता। केवल वही वादे करो जो पूरा करना जरूरी है। जिसके पूरा होने से आपकी क्षमताएं और ताकत बढ़ती हो। अपने आप से वादा करो और उसे पूरा करो। दुनिया से वादा करते समय थोड़ा ध्यान दो, क्या, क्यों, कैसे? अपने आपसे पूछो। फिर यदि आपको लगता है कि वादा पूरा करना चाहिए तो जुट जाओ। पर ऐसा न हो जैसा कवि कहता है कि-‘जंगल घने हैं, गहरे हैं, सुंदर हैं, पर मुझे तो वादा निभाना है।’ आप दुनिया से वादा निभाने में समय मत बर्बाद करो। ज़िंदगी के घने, गहरे, संुदर क्षण कहीं फालतू वादे निभाने में ना गुजर जाए। सोच समझकर वादा करो और यदि वादा कर लिया तो उसे पूरा करके दिखाओ ।

आपका ध्यान विकास और कल्याण पर होना चाहिए। कल्याण माने अपने आपको खुश कर पाना। हम बड़ों से आशीर्वाद मांगे तो वह कहते हैं-‘कल्याण हो।’ माने आप जो चाहते हो, वो आपको मिल जाए। आप खुश हो जाओ। जीवन कल्याण चाहता है। जीवन एक मां है जो चाहता है कि उसके सारे बच्चे खुश रहें। पर इस दुनिया में आकर लोग भूल जाते हैं कि उन्हें खुश रहने के लिए पैदा किया गया है। वो रोने-धोने लगते हैं। चीखना-चिल्लाना, गुस्सा, चिढ़, तनाव से परेशान अपने बच्चों को देखकर जीवन भी दुखी हो जाता है। ईष्वर इस सृष्टि का पिता है। उसने आपको उन सारे गुणधर्मों से सुसज्जित कर इस दुनिया में भेजा था। पर फिर भी अधिकतर लोग उसे परेशान नज़र आते हैं। अब आप यदि ईष्वर की इच्छा पूरी होने में कोई योगदान कर सको, तो आप ईष्वर के लाड़ले पुत्र बन जाओगे। मान लो कोई सर्दी से कांप रहा है, परेशान है और आपने उसे स्वेटर या शॉल दे दी। वो व्यक्ति खुश हो जाएगा और ईष्वर भी। मान लो कोई जानवरों पर अत्याचार कर रहा है और आप उनकी रक्षा कर पाओ, जीवन खुश हो जाएगा। और वह आपको भी खुश कर देगा। तो आप उन लोगों की तरफ ध्यान दो जिन्हें कोई नहीं देख रहा ईष्वर की निगाह आपकी तरफ आ जाएगी। आप उन्हें वह दो, जो उन्हें चाहिए और आपके पास अतिरिक्त है। जीवन आपको वो सब देगा जो आपको चाहिए। जीवन के गोदाम में हर चीज का ढेर है। जीवन आपके लिए अपनी पोटली खोल देगा। कल्याण एक मूल मंत्र है जिसे आप समझ लो तो जीवन बहुत आसान और मजेदार हो जाएगा। आप कल्याण करो, आपका कल्याण हो जाएगा।

आपको ज्यादा उम्मीद नहीं करना चाहिए। दुनिया बहुत कुछ चाहती है इसीलिए बहुत उदास है। उम्मीद करने के बजाय आपको योजना बनाने पर समय लगाना चाहिए। आप अपने आप से उम्मीद करो, बस। दुनिया से उम्मीद सिर्फ कमजोर लोग करते हैं। आप अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करो। कुछ करने के चक्कर में आप वो नहीं करते, जो सबसे ज्यादा जरूरी था। समझो कि क्या जरूरी है और वह आपकी प्राथमिकता है। यदि आप अपनी प्राथमिकता छोड़कर द्वितीयक और तृतीयक काम करने लगोगे तो जीवन भी आपको द्वितीयक और तृतीयक स्तर के ईनाम उपलब्ध करा देगा। आपको निर्धारित करना पड़ेगा कि आपको क्या चाहिए और आपकी प्राथमिकता क्या है? आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं और विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए आपकी आंखें केवल एक पहलू से देख पाती हैं पर आपका मस्तिष्क कई पहलुओं से देखता है। अपनी आंखों के साथ अपने मस्तिष्क से भी देखो, आपको अतिरिक्त विकल्प मिलेंगे। आपके पास यदि विकल्प हांे तो आपका चुनाव ज्यादा प्रभावी होगा। आपको ज्ञान से प्रेम होना चाहिए। बुद्धि, तर्क-चातुर्य आपके पसंदीदा विषय होने चाहिए और जो लोग इन गुणों में आपसे बेहतर हैं, आप उन्हें दोस्त बना लो। आपको कठिनाईयों और विपरीत परिस्थितियों को जीत लेना चाहिए। मैं मानता हूं-‘हारना आसान है पर हार झेलना मुश्किल है। जीतना थोड़ा मुश्किल है पर उसके ईनाम मजेदार होते हैं।’ यदि आप जीतने की आदत बना लो तो आपका मस्तिष्क योजनाएं बनाने में आपकी मदद करेगा। उन योजनाओं के साथ आप जीवन के खेल का आनंद लो। किसी बड़ी उपलब्धि का निशाना बनाओ और जुट जाओ। थोड़ा दुस्साहस जरूरी होगा। दया, माया, मोह यह सब आपको रास्ते में मिलेंगे। पर ज्यादा ध्यान मत देना। जब आपको मच्छर या खटमल काट रहे हांे तो आप दया नहीं करते। जो सिर्फ दिखता है पर नहीं है, आप उसके पीछे नहीं भागते। जो छूट गया है और पाना जरूरी नहीं आप उसका मोह नहीं करते। आपके बिस्तर में यदि छिपकली आ जाए तो आप डर से नहीं मर जाते। आप उस छिपकली को मार देते हो। याद रखो जीवन एक संघर्ष है। बचना है तो मारो। फिर आप इतने ताकतवर हो जाओ कि आप पर आक्रमण ही ना हो। यदि आप शेर हो तो आपको गीदड़ों से डरने की कोई जरूरत नहीं। आपमें मारक क्षमता होनी चाहिए। जब जीवन कहे मारो, तो अपनी दया अपने भीतर रहने दो। जीवन कहता है-‘मारो! तो मार दो।’ जीवन कहे छोड़ दो! तो छोड़ दो! जीवन के कहे अनुसार चलते रहो। आपकी मंजिलें रास्ते में ही मिल जाएंगी। पर चलते रहना जारी रखो।

आपको संयम से दोस्ती करनी पड़ेगी। संयम आपको बताएगा कब धीमे होकर रुक जाना है और कब गति अचानक तेज कर दुनिया को चैंका देना है। आज की दुनिया में दो तरह के लोग बहुत ज्यादा हैं। एक जो जल्दबाजी कर रहे हैं, दूसरे जो आलसी हैं। आप यदि जल्दबाज़ हंै, तो कई बार गलत मौके आपके सामने होंगे और आप उन्हें चुन लोगे। यदि आप आलसी हो, तो कई बार सही मौके आपके सामने होंगे और आप उन्हें नहीं चुन पाओगे। आपको संयम से दोस्ती करनी पड़ेगी, वो आपके भीतर का गति सूचक है, वो आपकी गति निर्धारित करता है। यदि आप उससे तालमेल कर पाये तो जीवन के भीतर सही समय पर आपके सपने पूरे हो जाएंगे। यदि आप उससे तालमेल नहीं कर पाये, तो आपका नुकसान हो जाएगा। आपको हां कहना सीखना होगा और ना कहना भी। कई बार दुनिया और जीवन आपसे पूछेंगे और आप हां कहना चाहेंगे। फिर आपके भीतर का व्यक्ति अपने समाज, मूल्य और प्रशिक्षण के अनुसार निर्धारित करेगा कि आप वह करो या नहीं। कई बार वो डर जायेगा और आपका कान आपकी जुबान को कहते सुनेगा-‘ना’! आप जब ‘हां’ कहना चाहते थे, तब आपकी जुबान कह रही थी ‘ना’। अब जीवन तो वो मानता है जो दिखता है, सुनाई देता है। आपको अपने विचारों और कृत्यों में एक विष्वास और तालमेल बैठाना होगा। यदि आप वो करते नज़र नहीं आते जो आप कहते हो, तो दुनिया आपको सुनना बंद कर देगी। आपको ‘डर’ का इलाज करना पड़ेगा। बाहर की दुनिया आपको डरायेगी पर आपके भीतर की दुनिया में जो डर बैठ गए हैं वो ज्यादा खतरनाक हैं। आपको डर का कॉकरोच पकड़ना होगा। नहीं तो आपके बिस्तर पर कॉकरोच आराम से सोयेगा और आप डरे हुए बाहर घूमते रहोगे। डर एक कुत्ता है जो खुद आप से डरता है, इसलिए वो ज्यादा भौंकता है। आप उसे भौंकता हुआ देखते हो तो आपको लगता है, वह काट लेगा। पुरानी किताबें बताती हैं-‘भांैकने वाले कुत्ते काटते नहीं।’ हमें थोड़ा झुकना चाहिए जैसे आप कोई पत्थर उठा रहे हो। भौंकने वाला कुत्ता चुप हो जाएगा। अपनी दुम दबायेगा और भाग जाएगा। याद रखो जो डराता है, वह डरता है। दमदार लोग शांत होते हैं, वो किसी को नहीं डराते। उन्हें किसी से डर नहीं लगता। आप जीवन का सम्मान करते हैं और जीवन आपका।

आप सबको खुश करने के चक्कर में मत पड़ो। सच बताऊं तो आप सबको खुश करने के लिए पैदा भी नहीं हुए। हां आप खुद खुश रहो। अपने आस-पास की दुनिया का ख्याल रखो। जीवन आपको वो वापस देगा जो आपने जीवन को दिया है। आप जीवन के लिए मुस्कुराओ और खुश रहो। जीवन आपको खुश होने के सबसे अच्छे तरीके बताएगा। फिर आपके खुश होने से दुनिया खुश हो जाये, तो बहुत अच्छी बात है। पर आप सबको खुश करने की कोशिश मत करो। नहीं तो आप उदास हो जाओगे। इतने सारे संत और भगवान पैदा हुये पर वो भी पूरी दुनिया को खुश नहीं कर पाये। आपको काम खुद करके देखना चाहिए। यदि आपको किसी और से काम कराने का शौक है और खुद आप काम से बचते हो, तो आप अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हो। जो काम करता है, अभ्यास में रहता है वही शाष्वत है। जीवन का पहला मौका उन्हें मिलेगा जो काम करते नज़र आ रहे हैं। यदि आप स्वर्ग जाना चाहें तो क्या आपके नौकर के मरने से काम चलेगा? नहीं! कहावत कहती है-‘अपने मरे बगैर स्वर्ग नहीं मिलता।’ अपने किये बगैर सफलता भी नहीं मिलती। काम छोटा और बड़ा नहीं होता, आपको हुनर सीखना चाहिए। वही काम का अभ्यास और उस अभ्यास के समय का प्रेक्षण और ध्यान आपका अनुभव बन जाएगा। अनुभव की कीमत पर यदि असफलता मिले, तो भी ले लेना चाहिए। अनुभव कीमती होते हैं। आप में सामान्य बुद्धि का अभाव देखा जाता है। एक पहाड़ की चोटी पर एक गिलहरी, एक हिरण, एक सांप, एक चींटी और एक इंसान है। बताइये उनमें से कौन पहाड़ से कूदेगा। सामान्य बुद्धि कहती है-‘कोई नहीं।’ पर इंसान आत्महत्या करते हैं। सामान्य बुद्धि माने उन परिस्थितियों में आप वह क्रिया करते हो जो सामान्यतया सभी को करने का प्रशिक्षण मिला है। जैसे ये प्रशिक्षण हमें प्रकृति ने जीवन की शुरूआत से देकर भेजा है। यदि आपको भूख लगी हो तो आप कुछ खाने को ढूंढते हो। मुझे कैसे मालूम? सामान्य बुद्धि। आपके पास एक तरीका होना चाहिए जीवन का। एक जीवन शैली। आपके काम की भी एक पद्धति होनी चाहिए। वैज्ञानिक क्रमबद्ध तरीका, जो तार्किक हो। आपका दृष्टिकोण वैज्ञानिक होना चाहिए। बगैर तर्क किये आप यदि निर्णय पर पहुंचते हो, तो ये सामान्य निर्णय होगा। आपको अपनी पहचान बनानी चाहिए। आपकी उपलब्धियां और आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए कि दुनिया आपसे प्रभावित हो सके। आपका नाम, आपके व्यक्तित्व के गुणों को बाकी दुनिया तक पहुंचा देगा। आपको बाकी दुनिया से एक कदम आगे होना चाहिए। यदि दुनिया आपसे आगे निकल गई, तो आप पीछे रह जाओगे।

आपकी दुनिया पर पकड़ होनी चाहिए। आपको पता होना चाहिये कि दुनिया कैसे व्यवहार करती है, वो कब बुरा मान जाती है, वो कब चिढ़ जाती है और उसे कब गुस्सा आ जाता है? आपको दुनिया के राज़ पता होने चाहिए। तभी आप दुनिया से बच सकोगे या उसका इस्तेमाल कर सकोगे। नहीं तो दुनिया आपका इस्तेमाल करेगी और खा जाएगी। आप में आत्मसम्मान होना चाहिए। यह दुनिया आपका अपमान कर दे, तो चुनौती लो। और इस दुनिया पर अपना प्रभुत्व जमा दो। दुनिया को सुनना पड़ेगा। पर आप कभी-कभी कुछ ऐसा कर देते हो, जो आपको भी अच्छा नहीं लगता। फिर आपके भीतर ग्लानि की भावना भर जाती है। फिर दुनिया भले ही आपका सम्मान करे, आप खुद अपना सम्मान नहीं कर पाते। आपके लिए ये सबसे दुखद होता है जब आप अपनी सफलता पर भी खुश ना हो सकें।

आपमें आत्मविष्वास होना चाहिए। मैंने बताया था आपको कि अतिविष्वास खराब है और आत्मविष्वास जरूरी है। आत्मविष्वास माने अपने हुनर, प्रशिक्षण और अपने आप पर भरोसा। आपको लगता है कि आप में क्षमता है, आप उस लायक हो और स्वयं को सिद्ध करना चाहते हो। आपमें अनुकूलन क्षमता होनी चाहिए। समय और परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल पाना जरूरी है। अलग-अलग परिस्थिति आप से अलग-अलग गुणों की परीक्षा करती हैं। आप अपने गुण और हुनर को सफलता में परिवर्तित नहीं कर पाये तो आपका समय और जीवन बेकार चले जाएंगे। चाल्र्स डार्विन कहते हैं-‘जीवन एक विकास का परिणाम है, जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। और सिर्फ वो जीवित रह पाते हैं जो दमदार थे, दमदार हैं और दमदार रहेंगे। आप भी विकास का एक परिणाम हो। आपको भी जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जीवन आपको उतना देता है, जितनी आप में दम है। जिसके आप लायक हो। वो ज्यादा दमदार है जो बदली परिस्थितियों में खुद को ढाल सके। आपको ठंड नहीं लगती, उन्हें गर्मी नहीं लगती। कोई यह कर सकता है, कोई वो। आप ये बताओ कौन सबसे ज्यादा दमदार है? अब यह तो तब मालूम पड़ेगा, जब परीक्षा सामने होगी। जीवन जब परीक्षा लेता है, तो एक ही प्रश्न बार-बार नहीं पूछता। आपको पुराने सारे प्रश्नों के उत्तर पढ़ने चाहिए। आपको अपना दिमाग खुला रखना चाहिए ताकि आप प्रष्न समझ सको। प्रश्न की गहराई, लंबाई, चैड़ाई, ऊंचाई। सारी विमायें। सारे तर्क। यदि आप जीवन की परीक्षा में पास हो गये तो दमदार, नहीं तो 700 सौ करोड़ लोग इस दुनिया में रहते हैं। आप भी उन्हीं में से एक हो। जाओ सो जाओ या प्रार्थना करो। या जीवन की परीक्षा के लिए तैयार रहो। प्रश्न ढूंढो, उत्तर खोजो, ज्ञान अर्जित करो, सामान्य बुद्धि का इस्तेमाल कर परीक्षण करो। सभी विषय आपके हैं। आप जीवन के राजकुमार हो। पर याद रखना जब आप इस उत्तर या समाधान के लिए तैयार हो जाते हो, जीवन प्रश्न बदल देता है। आपको स्वीकारना सीखना चाहिए। जीवन आपके इषारे से नहीं चलता। हां! आप जीवन के इशारे समझकर चल सकते हैं और यदि आपकी मंज़िल तय हों, तो आप पहुंच भी सकते हैं। आप स्वीकार करो, जो भी जीवन आपके सामने पेश करे। नहीं तो आपका जीवन एक भूलभुलैया बन जाता है। आप अपनी कल्पना जीवन को बता दो। जीवन आकार में पदार्थ भर देगा। आप जीवन को अपना प्रश्न बता दो और शांत बैठ जाओ। जीवन आपके लिए उत्तर ढूंढ लाएगा।

आपको अपने लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए ताकि आपकी उर्जा बच सके। आप हर तरफ जा सकते हो, थोड़ा यहां, थोड़ा वहां, थोड़ा इधर, थोड़ा उधर। पर आप किधर पहुंचोगे? फिर आप धीरे चलो या तेज दौड़ो। पर यदि आपको नहीं पता कि आपको कहां जाना है, तो आप जीवन की ऊर्जा नष्ट कर रहे हो। जीवन के पास ऊर्जा की कमी नहीं, पर आप की सीमाएं हैं। मरने से पहले आपको अपने काम निपटाना है। आपको शुरुआत करनी पड़ेगी। कोई और आकर आपके लिए रास्ते नहीं बनाएगा। कोई और आपके पैरों से नहीं चलेगा। कोई और आपकी मंज़िल तक नहीं पहुंच सकता। आपको समय का प्रबंधन करना पड़ेगा। महान व्यक्ति हो या तुच्छ, सबके पास जीवन में सीमित समय है और ये समय पर्याप्त है, यदि आपके लक्ष्य निर्धारित हों। जिसे कहीं नहीं जाना उसके लिए कोई भी जगह ठीक है। आपका सपना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर अब्दुल कलाम कहते हैं-‘सपने देखो, हिम्मत करो और काम कर डालो। आपका सपना पूरा हो जाएगा।’ पर सपना जरूरी है। यदि आपके पास कोई सपना ही नहीं है, तो क्या पूरा करोगे? फिर यदि आपमें हिम्मत नहीं है या आप शुरुआत नहीं करते या आप आलस करते हो, तो ईष्वर नहीं आएगा, आपका सपना पूरा करने के लिये। और यदि आप में हिम्मत है तो तरीका समझो। सपने पूरे करने का तरीका। ईष्वर की दुनिया एक सपनों का बाजार है। अलग-अलग दुकानों पर अलग-अलग सपने सजे हैं। आपका सपना वहीं मिलेगा। अपने सपने तक पहुंचना होगा। जीवन से सौदा करना होगा। उस सपने के बदले जीवन आपसे कीमत मांगेगा। पैसा नहीं। कभी जीवन पसीना बहाने को कहेगा, कभी ज्ञान बढ़ाने को। यदि आप समझ गये और आपने कीमत चुका दी, तो सपना आपका। नहीं तो घूमते रहो। जीवन का बाजार उन सपनों से भरा पड़ा है, जो किसी के लिए बने थे। पर वो सपनों तक नहीं पहुंच पाए। अब उन छूटे-टूटे सपनों का कोई मालिक नहीं।

आपको स्वयं के प्रति ईमानदार होना होगा। नहीं तो आप खुद से भी बेईमानी करते रहेंगे। आपको याद रखना होगा कि यदि आप जीतना चाहो तो सारी दुनिया मिलकर शायद आप को जिता दे। पर यदि आप हारना चाहो तो आप अकेले ही काफी हो। आपको अपने आप से साक्षात्कार करना चाहिए। ताकि मन के भीतर चल रहे भावों को शब्दों की अभिव्यक्ति मिल जाए। आप यदि स्वयं को समझ पायें और अपने दोस्त बन जाएं तो आपकी सफलता आपकी आत्मा का दायित्व बन जायेगा। आपकी आत्मा बहुत ताकतवर है। यदि आप कुछ दिल से पाना चाहें तो सारी सृष्टि आपके लिए षड्यंत्र करेगी और आप वो पा लोगे जो आप पाना चाहते थे। आपको ईमानदारी से आत्मान्वेषण करना होगा। अपने प्रति ईमानदार और सचेत होना होगा।

आप बातें करना सीखो। जीवन आपको अमीर बना देगा। ज़िंदगी ने सबको गुण दिये, पर कोई भी जीवन के सारे गुण अपने भीतर नहीं समेट पाया। आप जैसा कोई कुछ ले आया, कोई और कुछ ले गया। अब आप बातें करो। जिसके पास भी कोई गुण दिखे, उसे दोस्त बनाओ। ‘भारत एक अमीर देश है जिसमें गरीब लोग रहते हैं।’ क्योंकि उन्हें बातें करना नहीं आता। बातें करके हम सारी समस्याएं खत्म कर सकते हैं। ईष्वर की बनाई इस दुनिया में गुण ज्यादा हंै और अवगुण कम। पर जब आप बातें करना बंद कर दो, तो सौदा नहीं हो पाता। आपको जीवन के बाजार से गुण तलाशने हैं। आपको बातें करना सीखना चाहिए। तभी आप दोस्त बना पाओगे। लोग और ज़िंदगी यदि आपके दोस्त बन जाएं तो आप अपने आप अमीर बन जाओगे। क्योंकि जब आपको जरूरत होगी, आपके दोस्त आपके पास होंगे। आप जीवन की गंभीरता समझो। जिं़दगी कोई मजाक नहीं है, जिस पर आप हंसे और चल दिये। यदि आप जीवन के प्रति गंभीर नज़र नहीं आते तो जीवन भी आपको मजाक में लेता है। कई लोगों से मैंने पूछा-

‘कल का दिन कैसा रहा?’ और उनका जवाब था-‘बस ऐसे ही कुछ खास नहीं। बस रोज के काम। बस रोज जैसा।’ मुझे उनका जवाब सुनकर अच्छा नहीं लगता। सोचो जीवन को कैसा लगता होगा? ये कैजुअल लोग हैं जो ज़िंदगी को भी सस्ती चीज की तरह देखते हैं। जिं़दगी कैजुअल नहीं होती। आप सारी दुनिया के खजाने लाकर भी मेरी दादी को दोबारा नहीं ला सकते। मैं अपनी दादी से बहुत प्रेम करता हूं। अब वो नहीं रहीं। जीवन ने मुझे एक महान तोहफा दिया था और जीवन उसे वापस भी ले गया। सब कुछ पैसे से नहीं मिल सकता। आपको जीवन की गंभीरता समझनी होगी, वरना जीवन आपको एक मज़ाक बना देगा। फिर उड़ाना अपना मज़ाक या फिर अपने जैसे और लोगों को भी मजे लेने देना अपनी दुर्बलता और असफलता का। पर क्या आप इसीलिये पैदा हुए थे?

आप टालना बंद करो। जो होना चाहिये, कर दो। जो नहीं होना चाहिए, बंद कर दो। पर ऐसे सोचना कि ‘कल से पक्का’ आज को टाल देना है। जीवन आपको गौर से देखता है। वो रोज आपके पास मौके भेजता है और देखता है कि आप उन मौकों से कैसा व्यवहार करते हैं। यदि आप मौके टालते रहे, तो जीवन आपके पास मौके भेजना बंद कर देता है। आप जल्दबाजी मत करो। जीवन को कोई जल्दी नहीं, दुनिया के पास बहुत समय है। आप खुद को तैयार करो, फिर काम शुरू करो। आप उस काम के लायक बनो। आपके हुनर की कीमत है- आपकी खुशियां और सफलता। आप अपना हुनर जीवन को दो और बदले में जो चाहे मांग लो। आपमंे व्यक्तित्व का अनुशासन होना चाहिए। आप अपनी दम से बात करो। आप में सरलता होनी चाहिए। ज्यादा उलझी चीजें दुनिया समझ नहीं पाती। जीवन भी सरलता चाहता है। आप अपने शरीर को स्वस्थ बनाओ। स्मार्ट बनाओ। आप सही कपड़ों का चयन करो। दुनिया आपके भीतर का व्यक्ति नहीं देख पाती। उसे बाहर के कपड़े नज़र आते हैं। आसान है, दुनिया को वो दिखाओ, जो दुनिया देखना चाहे। मौके और अवसर के अनुसार आपको अपना ड्रेस पैटर्न समझना चाहिए। आपको किताबों से दोस्ती करना चाहिए। आप अच्छी आदतें अपने भीतर लाते रहो, अपने आप को प्रशिक्षित करते रहो।

आपको समय का पाबंद होना चाहिए। जीवन ने आपको सिर्फ समय दिया है, अब आपको सौदा करना है। इतने समय के बदले जीवन के बाजार से आपको क्या चाहिए और आप क्या उपलब्ध कर पाएंगे? आप शाष्वत बनो, सही तक पहुंचो। आप अपने आप को दुनिया के सामने पेश करो। अपना परिचय दो। हिचकिचाहट और शर्म अपनी जेब में रखो। यदि इस्तेमाल करने से फायदा नहीं है, तो इस्तेमाल मत करो। मुस्कुराओ, प्रश्न पूछो, बातें करो। आप सोचो कि आप कर सकते हो और आपको इसीलिए पैदा किया गया है। अपनी ताकत समझो, दुनिया की ताकत परखो। तर्क करो, फायदे-नुकसान सोचो, अपने आप को स्वीकार करो। अपनी गलतियां मत छिपाओ, उन्हें खत्म कर दो। खुश रहो, खुशी बांटो। अपने चेहरे का ध्यान रखो। तैयार रहो, ध्यान दो। सफल हो और श्रेष्ठ बनने की कोशिश करो। आप डरने और बचने के लिये नहीं बने। असफल होना कोई पाप नहीं। हां यदि आपका उद्देश्य छोटा है, तो आप भी छोटे रह जाओगे। ज्यादा चिंता मत करो। सबको खुश करने की कोशिश भी मत करो। शायद वो भी यही कर रहे हैं। अपने जीवन के असली उद्देश्य समझो। अपने नकारात्मक तत्वों पर काम करो। अपनी जीवनशैली बनाओ और दोस्तों से बात करो।

यादव सर की आंखें सूरज पर टिकी थीं। ढलता सूरज, शांत, लाल गंेद। जी-9 बच्चे भी तन्मय होकर सुन रहे थे। यह अनुभव उन्हें शहर में नहीं मिलते। ऐसे आनंद और शांति के लिए आपको प्रकृति के पास जाना होता है। लगभग 5 मिनिट की शांति जी-9 के लिए थोड़ी ज्यादा थी। उनसे चुप नहीं रहते बन रहा था। मन में जाने कैसे-कैसे प्रश्न चल रहे थे। पीयूष ने शांत भाव से पूछा-‘सर बोलिये ना। आप चुप क्यों हो गए।’

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